कलिकाल में हनुमानजी की भक्ति ही कही गई है। हनुमानजी की निरंतर भक्त करने से भूत पिशाच, शनि और ग्रह बाधा, रोग और शोक, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन से मुक्ति, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना से बचना, मंगल दोष, कर्ज से मुक्ति, बेरोजगार और तनाव या चिंता से मुक्ति मिल जाती है। हनुमानजी सर्वशक्तिमान और सर्वोच्च देव हैं। उनकी भक्ति, पूजा या सेवा करने की कुछ शर्तें हैं। यह भक्ति, पूजा या सेवा उन्हें ही फलिफूत होती है जो इन शर्तों का पालन करता है। शर्त यह है कि किसी पराई स्त्री पर बुरी नजर ना रखें, ब्याज का धंधा ना करें, किसी का हक ना मारे और न दिल दुखाएं, ईश्वर, धर्म और देवता की आलोचना न करें या उपहास न उड़ाएं। हमेशा साफ-सुधरे और पवित्र बने रहें। झूठ बोलना और हर बात पर गाली देने की आदत छोड़ दें, मंदिर के नियमों का पालन करें और अपने दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी और बेटी के साथ अच्छा व्यवहार रखें। तो आओ जानते हैं हनुमानजी की कृपा पाने के तरीके। इसके लिए सबसे पहले आप अपने घर में हनुमानजी का एक अच्छा से चित्र या मूर्ति घर में स्थापित करें। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढें। वह भी एक ही जगह बैठकर। प्रतिदिन हनुमानजी के समक्ष तीन कोनों वाला दीपक जलाएं। दीपक में चमेली का तेल हो। जब भी इच्छा हो हनुमानजी को चौला चढ़ाएं, बीड़ा अर्पण करें और गुड़ एवं चने का प्रसाद चढ़ाएं। ॐ श्री हनुमंते नम: का प्रतिदिन 108 बार जाप करें या साबरमंत्र को सिद्ध करें। माह में एक बार सुंदरकांड और बजरंगबाण का पाठ करें। सिद्ध किया हुआ हनुमानजी का कड़ा पहनें। यह कड़ा पीतल का होता है। हनुमानजी को मंगलवार, शनिवार या हनुमान जयंती पर केसरिया बूंदी लड्डू, इमरती, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई-मिश्री के लड्डू का भोग लगाएं। हनुमानजी के साथ ही भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी माता की भी पूजा अच्छे से करें। प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर विधिवत रूप से हनुमानजी की पूजा करें। यदि आप घोर संकट से घिरे हैं या आप हनुमानजी की पूर्ण भक्ति करना चाहते हैं तो फिर आपको मांस, मदिरा और सभी तरह का व्यवसन त्याग कर ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए प्रतिदिन विधि-विधान से हनुमानजी की पूजा या उनके मंत्र या नाम का जप करना चाहिए।