सरकार ने बैंक आॅफ बड़ौदा ,में विजया बैंक और देना बैंक के विलय से पहले बीओबी में 5,042 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का फैसला किया है। बैंक आॅफ बड़ौदा के साथ देना बैंक और विजया बैंक के विलय की योजना 1 अप्रैल से अस्तित्व में आ जाएगी। ऐसे में जिन भी खाताधारकों का इन बैंकों में अकाउंट है उनको कुछ काम कराना जरूरी हो जाएगा। सरकार ने पिछले साल सितंबर में बीओबी के साथ विजया बैंक और देना बैंक के विलय की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाना है। इससे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क कस्टमर्स को उपलब्ध होगा। इससे पहले सरकार ने देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई में उसके 5 सहयोगी बैंक और महिला बैंक का विलय किया था। मोदी सरकार ने बैंकों के बढ़ते एनपीए को ध्यान में रखते हुए साल 2016 में सरकारी बैंकों के एकीकरण का ऐलान किया था। इसके तहत सरकार की योजना बैंकों की संख्या घटाकर बड़े बैंक बनाना है। प्रदेश के तीन प्रमुख सरकारी बैंकों के विलय से खाताधारकों पर कोई असर नहीं होगा लेकिन इन बैंकों के अकाउंट होल्डर्स के लिए थोड़ा काम जरूर बढ़ जाएगा। इस फैसले से आम ग्राहकों को कई काम करने पड़ सकते हैं। पासबुक, चेकबुक और एटीएम कार्ड को लेकर बड़े बदलाव हो सकते हैं। बैंक आॅफ बड़ौदा में विलय के बाद देना बैंक और विजया बैंक के खाताधारकों को नए चेकबुक पासबुक बनवाने पड़ सकते हैं। बैंक जो भी फैसले लेगा उसके बारे में ग्राहकों को पहले सूचित किया जाएगा। इसके लिए बैंक कस्टमर्स को समय देगा। हालांकि, कोई भी बैंक ब्रांच बंद नहीं होगी। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि तीनों बैंकों के विलय होने से कस्टमर्स को पहले से बेहतर फोन बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग की सुविधा मिल पाएगी।