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हनुमानजी महाराज भगवान राम के चरित्र को सुनने के बड़े रसिक हैं – धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

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 राजगढ़

 चित्र में हनुमानजी नहीं होना चाहिए, चरित्र में होना चाहिए। भारत के लोग हनुमान जी को चित्र, मंदिर पूजन तक सीमित किए हुए हैं। मैं कहना चाहूंगा कि उन्हें चित्र नहीं चरित्र में धारण करो।

यह बात राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने हनुमंत कथा के पहले दिन कही। उन्‍होंने कहा कि हनुमानजी महाराज भगवान राम के चरित्र को सुनने के बड़े रसिक हैं। हनुमान ने रामजी से कहा था कि जहां कथा होगी, वहां कथा के साथ आप तो मिलोगे ही।

हनुमान जी ने रामजी से वरदान मांगा था क‍ि जहां प्रभु आपकी कथा हो वहां-वहां मैं पहुंच सकूं। ठीक उसी तरह जहां हनुमान की कथा होती है वहां रामजी व जहां राम जी की कथा होती है वहां हनुमान जी होते हैं।

उन्‍होंने आगे कहा कि आप भी यदि प्रभु की कथा के रसिक हो जाएंगे तो आपकी कोई कभी नाक नहीं काटेगा क्योंकि सारे संसार को भगवान ने बनाया है, भगवान निराकार है, लेकिन वह भक्तों के लिए साकार होकर प्रकट हो जाते हैं।

 

उन्‍होंने कहा कि मारीच भगवान के आगे जा रहा, भगवान पीछे बाण लेकर दौड़ रहे, पर पीछे देख रहा था। भगवान ने पूछा तो कहा कि वासना के कारण आपके पास से भाग रहा हूं, भगवान ने कहा कि मारे जाओगे तो बोले कि इस हार में भी जीत है।

हर दिन गुरु व माता-पिता को याद करो

महंत ने बच्चों द्वारा अलग-अलग डे मनाने को लेकर कहा कि हाल ही में लोगो ने फादर्स डे मनाया है। आजकल जितने भी तीज त्यौहार हैं मोबाइल पर जरूर डलेंगे। आजकल लोग एक दिन माता, पिता व गुरू को दिवस पर याद करते हैं, लेकिन मेरी प्रार्थना है कि उन्हें एक दिन नहीं हर दिन याद करो। उन्होंने कहा कि भगवान को भजो। जब हनुमान चौपाई करके वानर हनुमान हो सकता है तो फिर तुम क्यों नहीं हो सकते.

 

राम को पढ़ेंगे तब ही बच्चे चरित्रवान बनेंगे

उन्‍होंने कहा कि बच्चों की बुध्दि तेज करना चाहते हो तो आप हर दिन बच्चों को पांच दोहा पढ़ाइये। उनका उद्धार हो जाएगा, आपका बच्चा चरित्रवान बनेगा। लोग हमसे पूछते हैं कि आपने कहा तक पढ़ाई की है तो हम कहते हैं कि हमने तो हमारी माताजी की आज्ञा से रामचरित मानस को पढ़ा है। एक बार रावण की पत्नी जब अंधेरे से होकर गुजर रही थी तो राम जी ने उनसे कहा था मां आप, तो मंदोदरी ने कहा था कि मै आपको देखने आई हूं कि आपमें व मेरे पति में क्या अंतर है। एक ही अंतर पाया है कि मेरा पति हर स्‍त्री को अपनी बनाना चाहता है और आप हर महिला को मां बुलाते हो। इसलिए राम को बच्चों को पढ़ाओ। रामचरित मानस उन्हें पढ़ाओ.

एक ही चौपाई पर तीन दिन की कथा

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥,,, इस चौपाई के ऊपर ही महंत ने तीन दिन कथा करने का निर्णय लिया। उन्होंने इस चौपाई का जिक्र करते हुए कहा कि मैं राजगढ़ के खिलचीपुर में इसी एक चोपाई पर तीन दिन तक हनुमंत कथा करूंगा। इसी के साथ उन्होंने चोपाई के एक-एक शब्द पर कथा सुनना शुरु किया। शाम 6 बजे से देर रात तक वह एक ही चौपाई पर कथा करते रहे.