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Titanic जैसे 15 जहाजों के डूबने की कहानी, किसी पर हजारों किलो सोना, किसी पर हजारों लोग.

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एडमंड फिट्जगेराल्ड: सबसे बड़ा मालवाहक जहाज… अमेरिका का विशालकाय मालवाहक जहाज. 7 जून 1958 को लॉन्च किया गया. उस समय उत्तरी अमेरिका के ग्रेट लेक्स में चलने वाला सबसे बड़ा जहाज था. यह टैकोनाइट लौह अयस्क लेकर मिनिसोटा से ओहायो, मिशिगन और डेट्रॉयट जा रहा था. इसने उस समय दो दशक का सबसे ज्यादा माल ढोने का रिकॉर्ड बनाया था. आखिरी यात्रा 9 नवंबर 1975 को हुई. विस्कॉन्सिन से लोहा लेकर डेट्रायट जा रहा था. रास्ते में भयानक तूफान आया. 36 फीट ऊंची लहरों का सामना कर रहा था. 19 नवंबर को यह मिशिगन से सिर्फ 27 किलोमीटर पहले डूब गया. 29 लोगों का स्टाफ भी डूब गया. समुद्र में इसकी खोज अमेरिकी नौसेना के खोजी जहाज ने चार दिन बाद खोज लिया था. लेकिन कुछ बचा नहीं था.

एचएमएचएस ब्रिटैनिकः इसे टाइटैनिक की बहन कहते थे… भाप से चलने वाले इस जहाज को उसी कंपनी ने बनाया था, जिसने टाइटैनिक को बनाया था. इसे टाइटैनिक की बहन कहा जाता था. यह ओलंपिक क्लास का जहाज था. यह एक अस्पताल था. यह पहले विश्वयुद्ध के समय समुद्र में उतरा था. 1915 से 1916 तक ही समुद्र में तैर पाया. टाइटैनिक से सीखने के बाद इसकी डिजाइन बेहतर की गई थी. ताकि डूबे नहीं. सुरक्षित रहे. यह ब्रिटेन और डार्डेनेल्स के बीच सफर करता था. 21 नवंबर 1916 को जहाज के नीचे जर्मनी द्वारा बिछाया गया समुद्री बारूदी सुरंग फट गया. जिसकी वजह से यह एक घंटे में डूब गया. 30 लोग मारे गए. हादसा एजियन सागर में ग्रीक आइलैंड ऑफ किया के पास हुआ था. 1975 में इस जहाज की लोकेशन मिली थी.
     
एचएमएस कुराकोवाः जिसे बचा रहा था, उसी ने डूबो दिया… इसे रॉयल नेवी ने बनाया था. यह एक लाइट क्रूजर जहाज था. इसे 1919 में अटलांटिक फ्लीट में तैनात किया गया था. ताकि बाल्टिक में ब्रिटिश सेनाओं की मदद कर सके. समुद्री बारूदी सुरंग फटने से नुकसान हुआ. रिपेयर किया गया. फिर 1922-23 में इसे तुर्की भेजा गया. ताकि ब्रिटिश सेना की मदद हो सके. 1940 में इस जहाज को RMS क्वीन मैरी जहाज का एस्कॉर्ट बनाया गया. यह उस जहाज के चारों तरफ कभी दाएं तो कभी बाएं से निकल रहा था. ताकि क्वीन मैरी को जर्मन हमले से बचा सके. खुद भी बचा रहे. लेकिन दोनों जहाजों में ही टक्कर हो गई. क्वीन मैरी कुराकोवा से 20 गुना बड़ी थी. उसने कुराकोवा को कुचल दिया. 430 लोगों में से सिर्फ 101 लोग बच पाए.

स्पैनिश अरमाडाः तूफान ने डुबोया 130 जहाजों का काफिला … स्पैनिश अरमाडा 130 जहाजों का काफिला था. 1588 में यह काफिला इंग्लैंड पर हमला करने जा रहा था. लेकिन एक भयानक तूफान ने इसके सारे जहाजों को स्कॉटलैंड और आयरलैंड के किनारे डूबा दिया. करीब 5000 स्पैनिश सैनिक मारे गए. 1985 में स्थानीय गोतोखोरों ने इसके तीन जहाजों के मलबे को खोजा. इन जहाजों में लगी तोपें आज भी समुद्र में दिखाई पड़ती हैं.
        
एम्प्रेस ऑफ आयरलैंडः कीमती वस्तुओं से भरा जहाज, कोहरे में टक्कर… कनाडा का जहाज आरएमएस एम्प्रेस ऑफ आयरलैंड 29 मई 1914 को सेंट लॉरेंस नदी के मुहाने पर डूबा था. वजह थी नॉर्वेनियन जहाज एसएस स्टॉरस्टैड से टक्कर. टक्कर कोहरे की वजह से हुई थी. जिसकी वजह से 1012 लोग मारे गए थे. यह क्यूबेक सिटी से लिवरपूल जा रहा था. इसमें 1057 यात्री और 420 क्रू मेंबर सवार थे. अभी इस जहाज का मलबा समुद्र में 130 फीट नीचे हैं. कई गोताखोरों ने इस जहाज से चांदी की ईंटें, कांसे की घंटी, स्टर्न टेलीमीटर और अन्य कीमती वस्तुएं निकाल ली हैं.

एमएस एस्तोनियाः ऐसा जहाज जिसके मलबे पर डाले गए हजारों टन पत्थर… हाल के दिनों की सबसे बड़ा जहाज हादसा. 28 सितंबर 1994 को यह जहाज बाल्टिक सागर में डूबा था. क्रूज फेरी एमएस एस्तोनिया को जर्मनी में बनाया गया था. यह स्टॉकहोम से तालिन जा रहा था. जहाज कैसे डूबा इस पर विवाद है. लेकिन इस हादसे में 800 लोग मारे गए थे. साधारण मान्यता ये है कि खराब मौसम की वजह से यह जहाज डूब गया. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस जहाज का सेना के साथ संबंध था. इसलिए दुश्मन देशों ने इसे बम लगाकर उड़ा दिया. बाद में स्वीडन की सरकार ने इस जहाज के ऊपर हजारों टन पत्थर डालकर इसे समुद्र में दफन कर दिया. इसे समुद्री कब्रगाह घोषित कर दिया गया.
      

एचएमएस विक्ट्रीः 100 तोपों वाला जहाज नहीं कर पाया तूफान का सामना… इस जहाज पर 100 तोप लगे थे. रॉयल नेवी का एचएमएस विक्ट्री 1737 में लॉन्च किया गया था. लेकिन 1744 में यह इंग्लिश चैनल में हादसे का शिकार हो गया. इसके डूबने से 1000 नौसैनिक मारे गए थे. जहाज 250 सालों तक लापता था. किसी ने इसका मलबा नहीं देखा था. साल 2008 में ओडिसी मरीन एक्पेडिशन ने इसे तूफान से टकराने वाली जगह से करीब 80 किलोमीटर दूर खोजा. अब यह जगह ब्रिटिश सरकार की है.
     

एमवी डोना पाजः इसे कहते हैं एशिया का टाइटैनिक… फिलिपींस का यात्री जहाज. एमवी डोना पाज लीटे द्वीप से मनीला जा रहा था. लेकिन 20 दिसंबर 1987 को बीच रास्ते में यह ऑयल टैंकर एमटी वेक्टर से टकरा गया. टक्कर से जहाज पर आग लग गई. समुद्री हादसों के इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक. इस हादसे में 4386 लोगों की मौत हुई थी. डोना पाज पर क्षमता से अधिक लोग सवार थे. जहाज पर रेडियो नहीं था. यात्रियों को तत्काल लाइफ जैकेट्स नहीं मिल पाया, जिसकी वजह से लोग मारे गए.

द सुल्तानाः बंदियों को ढोने वाली बोट का बॉयलर फटा… अमेरिका के इतिहास का बड़ा समुद्री हादसा. भाप से चलने वाली यह बोट 27 अप्रैल 1865 को मेम्फिस के पास मिसिसिपी नदी में डूबी थी. बोट पर 1800 लोग सवार थे. इस बोट का इस्तेमाल अमेरिकन सिविल वॉर के अंत में युद्ध के बंदियों को ढोने के लिए किया जाता था. लेकिन रास्ते में इसके बॉयलर में विस्फोट हो गया. और यह डूब गया. 1982 में मेम्फिस के तट से 6 किलोमीटर दूर मिला था.

आरएमएस लूसितानियाः जर्मनी ने हमला कर डूबा दिया यात्री जहाज… ब्रिटिश ओशन लाइनर आरएमएस लूसितानिया अपने समय में दुनिया का सबसे बड़ा यात्री जहाज था. 1906 में लॉन्च हुआ था. लेकिन 7 मई 1915 को इस जहाज पर जर्मनी की यू-बोट ने हमला किया. हमला आयरलैंड के तट के पास हुआ था. इसमें 1962 यात्री और 1191 क्रू मेंबर मारे गए थे. फिलहाल इस जहाज का मलबा आयरलैंड के किनसेल से 17 किलोमीटर दूर समुद्र में 300 फीट की गहराई में है. 

यूएसएस एरिजोनाः पर्ल हार्बर पर हुए हमले में डूब गया था ये युद्धपोत… यह अमेरिकी नौसेना का युद्धपोत था. 1916 में कमीशन किया गया था. इसके पहले विश्व युद्ध में कई बड़ी लड़ाइयां लड़ी थीं. 1919 में इस जहाज ने राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन को एस्कॉर्ट किया था. जब वो पेरिस पीस कॉन्फ्रेंस में गए थे. 1933 में कैलिफोर्निया में आए भूकंप में राहत कार्यों में शामिल था. 1940 में इसे पैसिफिक फ्लीट में डालकर पर्ल हार्बर पर तैनात किया गया. ताकि जापानी गतिविधियों पर नजर रखा जा सके. 7 दिसंबर 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर पर खतरनाक हमला किया. इस जहाज पर कई बम गिराए गए. जहाज डूब गया. 1177 नौसैनिक मारे गए. आज इस डूबे हुए जहाज के ऊपर युद्ध स्मारक बना है. जहाज पानी के नीचे दिखता है. 

यूएसएस इंडियानापोलिसः जापानी टॉरपीडो का शिकार… अमेरिकी नौसेना के पोर्टलैंड क्लास का हैवी क्रूजर जहाज. 1931 में लॉन्च किया गया था. सेकेंड वर्ल्ड वार के समय पैसिफिक थियेटर ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 30 जुलाई 1945 को यह लीटे से गुआम के रास्ते पर था. तभी जापानी पनडुब्बी आई-58 से इस पर दो टॉरपीडो दागे गए. दोनों टारपीडो ने जहाज बर्बाद कर दिया. सिर्फ 12 मिनट में जहाज डूब गया. 1196 नौसैनिकों में से सिर्फ 316 ही बच पाए. इसका मलबा 2017 में खोजा गया. यह फिलिपीन सागर में 18 हजार फीट की गहराई में मिला. 

एसएस सेंट्रल अमेरिकाः  13,607 किलोग्राम सोना लेकर जा रहा था… इस जहाज को शिप ऑफ गोल्ड भी कहा जाता है. 85 मीटर लंबे जहाज में साइडव्हील स्टीमर लगे थे. मध्य अमेरिका से पूर्वी अमेरिका के बीच चलता था. समय था 1850. भाप से चलने वाला यह जहाज 1857 को दक्षिण कैरोलिना के तट के पास हरिकेन में फंसने की वजह से डूब गया था. इसपर 13,607 किलोग्राम सोना लदा था. साथ में कई और कीमती चीजें. सोने के साथ 578 में 425 लोग डूब गए थे. जहाज पनामा से न्यूयॉर्क जा रहा था. 1980 में कुछ खोजी गोताखोरों ने इस जहाज के मलबे को खोजा. कुछ सोना और कीमती सामान भी ऊपर लेकर आए. 

एसएस ईस्टलैंडः डिजाइन, निर्माण और अधिक सवारी बनी डूबने की वजह… 1903 में बना यह यात्री जहाज मिशिगन से ऑपरेट होता था. शिकागो से कई जगहों पर जाता था. अक्सर लेक मिशिगन को पार करते हुए. 24 जुलाई 1915 को यह जहाज मिशिगन शहर छोड़ने वाला था. जहाज पर 2500 लोग सवार थे. अधिक लोगों की वजह से जहाज एक तरफ झुकता चला गया. लोग जहाज से एक तरफ गिरने लगे और ज्यादातर लोग जहाज के पलटने की वजह से उसके नीचे दब गए. इसे डूबने में सिर्फ दो मिनट लगे थे. 844 लोगों की मौत हुई थी. जहाज पर ज्यादातर अप्रवासी थे. जो चेक गणराज्य, नॉर्वे, पोलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, इटली, हंगरी और ऑस्ट्रिया से थे. हादसे की वजह ज्यादा लोग, जहाज का डिजाइन, निर्माण माना जाता है. 

एमवी विलहेल्म गुस्तलोफः टॉरपीडो के हमले से डूबा जहाज, 9400 लोग मारे गए… असल में यह एक क्रूज शिप था, जिसे बाद में जर्मन नौसेना ने 1939 को अपने पास ले लिया. ताकि इसकी मदद से सैनिकों और रेफ्यूजियों को लाया-ले जाया जा सके. इसे 1939 से 40 तक अस्पताल की तरह भी इस्तेमाल किया गया. 1937 में लॉन्च इस जहाज का नाम एडोल्फ हिटलर के सिपहसालार विलहेल्म गुस्तलोफ पर रखा गया था. 30 जनवरी 1945 में सोवियत पनडुब्बी एस-13 ने बाल्टिक सागर में इस पर कई टॉरपीडो दागे. वह भी तब जब यह जहाज आम नागरिकों और सैनिकों को बचा रहा था. यह जहाज एक घंटे में डूब गया था. इसमें 9400 लोग मारे गए थे. ज्यादातर आम नागरिक.