प्रचार रथ के माध्यम से रानी दुर्गावती पर केंद्रित लघु फिल्मों का किया गया प्रदर्शन
भोपाल
वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरता और बलिदान गाथा को जन जन तक पहुंचाने के लिए दुर्गावती की जन्मस्थली कालिंजर फोर्ट से निकाली गई गौरव यात्रा का रविवार को कटनी जिले की विधानसभा बड़वारा के ग्राम बसाड़ी में आगमन हुआ। गौरव यात्रा के आगमन पर यहां जनजाति परंपरा के अनुसार ग्रामीणों ने कलश एवं दीपक के साथ गौरव यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम स्थल पर वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा के साथ चल रहे प्रचार रथ में 8 ×10 आकार की एलईडी वॉल के साथ वीरांगना रानी दुर्गावती के जीवन से जुड़ी गाथाओं का प्रचार प्रसार किया जा रहा था।
बरही में रथयात्रा का हुआ आत्मीय स्वागत
गौरव रथ यात्रा बसाड़ी से होते हुए विजयराघवगढ़ के ग्राम पंचायत बरही पहुंचने पर ग्रामीणों ने गर्मजोशी से आत्मीय स्वागत किया। बरही में आयोजित मुख्य कार्यक्रम के दौरान यात्रा प्रभारी एवं पूर्व सांसद श्रीमती संपतिया उइके और सह यात्रा प्रभारी राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सहभागिता की।
गौरव यात्रा की प्रभारी श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि मुगल राजा अकबर के साथ युद्ध में स्वाभिमान और अस्मिता की रक्षा के लिए वीरांगना रानी दुर्गावती अपना बलिदान देकर हमेशा के लिए अमर हो गईं। प्रजा के लिए रानी दुर्गावती ने बड़ी संख्या में तालाब और बावडि़यों का निर्माण कराया।
हमें अपने गौरवशाली इतिहास को समझने की आवश्यकता है – सुमेर सिंह सोलंकी
यात्रा सह प्रभारी एवं राज्य सभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि – हमें अपने गौरवशाली इतिहास को ठीक से समझने और लिखने की आवश्यकता है। हमारे देश के रत्न महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, रानी दुर्गावती, टंटया – मामा, बिरसा मुण्डा जैसे अनेक महान वीर सपूत हुए है। इन महापुरूषों का – स्मरण नहीं किया गया तो हमारा समाज, ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकता। वीरांगना रानी दुर्गावती ने जिस साहस और पराक्रम से मुगलों से लोहा लिया और गोंडवाना राज्य में सुशासन चलाया वह एक मिसाल है।
उमरिया में रानी दुर्गावती गौरव यात्रा का हुआ भव्य स्वागत
छिंदवाड़ा से निकली वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा बैतूल के सांसद दुर्गा दास उइके के नेतृत्व में उमरिया स्थित रानी दुर्गावती सामुदायिक भवन में पहुंची। दुर्गा दास उइके ने कहा कि रानी दुर्गावती सुशासन की सूत्रधार थीं। रानी दुर्गावती अदम्य साहस और शौर्य की प्रतीक थीं। वीरांगना रानी दुर्गावती ने अकबर की सेनाओं को तीन बार पराजित किया था। तब आसफ खाँ ने विशाल सेना लेकर अक्रमण किया और जब यह लगा कि अब विजय कठिन है तो रानी दुर्गावती ने अपनी कटार सीने में उतार कर अपना बलिदान दे दिया। रानी दुर्गावती हम सबकी श्रद्धा और आस्था की केन्द्र हैं, रानी माँ हमें स्वाभिमान, सम्मान और स्वधर्म के लिए सब कुछ न्यौछावर करने के लिए प्रेरित करती हैं। वे सुशासन की प्रतीक हैं। उनके द्वारा बनवाए गए तालाब और मंदिर आज भी जनता के लिए उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुसूचित जन जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भंवर ने कहा कि रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर 22 जून से पाँच यात्राएँ आरंभ हुई हैं। छिंदवाड़ा से प्रारंभ हुई यात्रा अलग-अलग गाँवो से होते हुए आज उमरिया पहुंची है । रानी दुर्गावती के बलिदान की गाथा जनता के बीच रखते हुए 27 जून को यह गौरव यात्रा शहडोल पहुँचेंगी। वीरांगना रानी माँ दुर्गावती के बलिदान दिवस पर हम संकल्प लेते हैं कि अपनी जनता को सुशासन देंगे, अपने देश पर कभी आँच नहीं आने देंगे और जरूरत पड़ी तो अपने देश पर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहेंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक बांधवगढ़ शिवनारायण सिंह ने कहा कि आदिवासी समुदाय की एक गौरवशाली तो मैं संस्कृति रही है। रानी दुर्गावती एक कुशल प्रशासक थी उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की थीं। उनके समय में गोंडवाना क्षेत्र देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र रहा। वनमंत्री कुंवर विजय शाह जी डिंडोरी जिले के ग्राम झगरहटा (डुंगरिया) में गौरव यात्रा कार्यक्रम का संपन्न