नई दिल्ली
तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केसीआर को भाजपा के प्रति नरम होते देखे जा रहे हैं। केसीआर ने केन्द्र द्वारा बुलाई गई बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजकर पिछले दो साल से चल रहे बहिष्कार के दौर को समाप्त कर दिया है। दरअसल, केन्द्र ने दिल्ली में मणिपुर की स्थिति पर बैठक बुलाई थी, जिसमें केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की ओर से वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद बी विनोद को मीटिंग में शामिल हुए।
नवंबर 2020 से किया बैठकों का बहिष्कार
पिछले दो सालों से देखा जा रहा था कि केसीआर और उनकी पार्टी केन्द्र की ओर से बुलाई गई बैठकों से अलग रहती थी। इसी बीच पटना में 17 गैर बीजेपी दलों की बुलाई गई संयुक्त बैठक के एक दिन बाद केसीआर ने केन्द्र की ओर से बुलाई गई बैठक का बहिष्कार समाप्त कर दिया है। नवंबर 2020 के बाद से बीआरएस की ओर से एक भी सेंट्रल मीटिंग में उपस्थिति दर्ज नहीं हुई।
तेलंगाना विकास मॉडल पर ध्यान
हालांकि, कुछ दिन पहले तक केसीआर खुद बीजेपी के खिलाफ संभावित थर्ड फ्रंट की अगुवाई कर रहे थे, लेकिन अब उनका फोकस विपक्षी एकता की बजाए तेलंगाना विकास मॉडल पर हो गया है। तेलंगाना में साल 2014 से केसीआर की बीआरएस सरकार है।
पीएम को बताया था 'अच्छा मित्र'
हाल ही में, नागपुर में 15 जून को आयोजित पार्टी के एक इवेंट में केसीआर का बदला-बदला रूप देखने को मिला है, जिसमें पीएम मोदी पर सीधे तौर पर निशाना साधने वाले नेता केसीआर को उन्हें 'अच्छा मित्र' संबोधित किया था। शुक्रवार यानि 23 जून को पटना में विपक्ष की बैठक चल रही थी, उसी दौरान केसीआर के बेटे और तेलंगाना के मंत्री केटी रामाराव दो दिन के दिल्ली दौरे पर थे। यहां उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग शेड्यूल की थी।
सूत्रों ने बदले सुर की बताई वजह
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि केसीआर से बदले हुए सुर उनके निजी कारणों की वजह से है। दरअसल, दिल्ली शराब नीति घोटाले में केसीआर की बेटी के कविता का नाम सामने आया है और ईडी ने दो बार कविता से पूछताछ भी की है। यहां तक कि आरोपपत्र में भी केसीआर की बेटी कविता का नाम शामिल है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों की वजह से केसीआर ने केन्द्र के प्रति अपना रुख बदला है। हालांकि, अप्रैल में दाखिल की गई चार्जशीट से कविता का नाम हटा दिया गया था।
बीजेपी में हो सकती है बगावत
इस साल के अंत में तेलंगाना विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इससे पहले भाजपा में बगावत के आसार नजर आ रहे हैं। बीआरएस के साथ बीजेपी की कथित नजदीकी पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। दरअसल, हाल ही में बीजेपी में शामिल होने वाले कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी और एटाला राजेंदर कांग्रेस में जाने पर विचार कर रहे हैं।