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रेलवे अस्पताल में पत्नी को उतारनी पड़ी चप्पल, भड़के DRM ने गार्ड के कपड़े उतरवाए; जमकर हंगामा

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नई दिल्ली

डॉक्टर के चेंबर में प्रवेश से पहले डीआरएम कमल किशोर सिन्हा की पत्नी गरिमा सिन्हा की चप्पल खुलवाना अस्पताल के असिस्टेंट बसंत उपाध्याय को महंगा पड़ गया। डीआरएम ऑफिस में बुलाकर उनकी फजीहत की गई। डीआरएम को पत्नी की चप्पल खुलवाने की बात इतनी नागवार गुजरी की कि उन्होंने बसंत उपाध्याय के कपड़े उतरवाने के आदेश दिए। फिर क्या था। मंडल प्रबंधक के आदेश को सिर आंखों पर रखकर एक टीआई और गार्ड ने बसंत उपाध्याय के कपड़े खुलवा दिए।

डीआरएम के चेंबर के बाहर गैलरी में सीएमएस डॉ डीएल चौरसिया की मौजूदगी में अफसरशाही का यह नंगा नाच हुआ। डीआरएम और अन्य के कृत से आहत बसंत की तबीयत शुक्रवार को बिगड़ गई। बसंत के अपमान से आक्रोशित सहकर्मियों ने रेलवे अस्पताल में काम ठप कर हड़ताल की घोषणा कर दी। सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक इंडोर और आउटडोर में कामकाज नहीं हुआ। अस्पताल में डीआरएम के खिलाफ नारेबाजी की गई। एडीआरएम आशीष कुमार झा, सीनियर डीसीएम अमरेश कुमार और कार्मिक विभाग के अफसर और कर्मी के साथ सीएमएस ने अस्पतालकर्मियों को समझाया।

दांत का इलाज कराने पहुंची थीं गरिमा
मंडल रेल अस्पताल में हॉस्पिटल असिस्टेंट के रूप में पदस्थापित बसंत उपाध्याय ने बताया कि गुरुवार को डीआरएम की पत्नी सह मंडल महिला कल्याण संगठन की अध्यक्ष गरिमा सिन्हा पार्ट टाइम डेंटल सर्जन डॉ निशि अग्रवाल को दांत दिखाने आईं। डॉक्टर चेंबर के बाहर वे ड्यूटी पर तैनात थे। उन्होंने गरिमा सिन्हा को नहीं पहचाना। आम मरीज समझ बसंत उपाध्याय ने डीआरएम की पत्नी को भी चप्पल खोलकर चेंबर में दाखिल होने को कहा। गरिमा सिन्हा के रेलवे अस्पताल से लौटने के बाद डीआरएम ऑफिस से सीएमएस को फोन आया। फौरन असिस्टेंट को लेकर डीआरएम कार्यालय में हाजिर हों। सीएमएस बसंत उपाध्याय को लेकर डीआरएम ऑफिस पहुंचे। आरोप है कि वहां एक टीआई और कुछ गार्ड ने बसंत उपाध्याय को खूब खरी-खोटी सुनाई। नियम पालन कराने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी असिस्टेंट बसंत उपाध्याय यह नहीं जानते थे।

डीआरएम ने आवेग में आकर कपड़े उतरवाने के दिए आदेश
आंदोलनरत अस्पतालकर्मियों को समझाने के दौरान सीएमएस ने बताया कि डीआरएम ऑफिस में कल जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था। घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं वहां बसंत के साथ था। डीआरएम ने आवेग और गुस्से में आकर कह दिया कि कि इसके कपड़े खुलवाओ, लेकिन थोड़ी ही देर बाद उन्होंने कपड़े खुलवाने से मना किया। सीएमएस ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी घटना नहीं होगी। सीएमएस के बयान से स्पष्ट है कि बसंत उपाध्याय को अपमानित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया। चेंबर के अंदर से सीसीटीवी कैमरों के जरिए डीआरएम बसंत के कपड़े खुलते देखते रहे। डीआरएम के इस अड़ियल और अमानवीय रवैये को लेकर चारों ओर अफसरशाही की निंदा हो रही है, लेकिन ईसीआर की एकमात्र मान्यता प्राप्त यूनियन ईसीआरकेयू इतनी बड़ी घटना के बावजूद चुप्पी साधी रही। रेलवे अस्पताल में यूनियन के कुछ पदाधिकारी नजर तो आए लेकिन डीआरएम या घटना के संबंध में एक शब्द भी बोलने से परहेज किया।

असर्फी अस्पताल में बसंत को कराया गया भर्ती
डीआरएम ऑफिस में बसंत के कपड़े खुलवाने के साथ उसे चार्जशीट देने की धमकी दी गई। इससे भयभीत बसंत का ब्लड प्रेशर और धड़कन बढ़ गया। घटना के बाद से ही उन्होंने एक भी निवाला नहीं खाया। आनन-फानन में उन्हें रेलवे अस्पताल से असर्फी अस्पताल रेफर किया गया। बसंत 1996 से ही रेलवे अस्पताल में पदस्थापित हैं। सहकर्मियों ने बताया कि अबतक किसी से उनका कोई विवाद नहीं हुआ है।