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बिहार में फिर पड़ेगा सुखाड़? मॉनसून की बेरुखी से 550 से अधिक बड़े तालाब सूख गए, पेयजल पर संकट

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बिहार

भीषण गर्मी और मॉनसून की बेरुखी की वजह से सूबे के जलस्रोतों का हाल बुरा है।  बिहार नदियों के सूखने के बाद जलाशयों से भी पानी गायब हो रहा है। सूबे के लगभग 60 फीसदी तालाब सूख चुके हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो हालात और भी बदतर हैं। मानसून में विलंब के कारण कई तालाब का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। ये सारे तालाब 5 एकड़ से अधिक बड़े हैं। इनसे छोटे तालाबों की स्थिति तो और दयनीय है। इस समय सूबे के 954 प्रमुख बड़े तालाबों में 550 से अधिक में पानी नहीं है, जबकि अन्य की स्थिति भी तेजी से बिगड़ रही है। इनमें लगभग 150 तालाबों की स्थिति ही इस समय अच्छी है। यहां 10-12 फीट तक पानी है। विशेषज्ञों के अनुसार भूगर्भ जल स्तर के नीचे जाने के कारण तालाबों की स्थिति बिगड़ी है। पिछले वर्षों में इनकी देखरेख भी ढंग से नहीं की गयी। बड़ी संख्या में तालाब अतिक्रमण के शिकार हैं। यही नहीं कई पर अवैध निर्माण हो चुका है। स्थायी संरचना खड़ी कर दी गयी है।

कायापलट की तैयारी राज्य सरकार ने ऐसे तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना बनायी है। अगले वर्ष तक सारे बड़े तालाबों का कायापलट हो जाएगा। लघु जल संसाधन विभाग ने इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है। कई तालाब अतिक्रमण के शिकार हैं। इनसे अवैध कब्जा भी सरकार हटा रही है। इसके अलावा उनके जीर्णोद्धार का काम भी युद्धस्तर पर शुरू किया गया है। इस साल 300 तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना है। तालाबों के किनारे पौधरोपण भी होगा।

बड़े तालाब के मानक
तय मानकों के अनुसार 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले तालाबों को इस श्रेणी में रखा गया है। इनमें सामान्यत 20-22 फीट तक पानी होता है। ऐसे 5 से 10 फीट पानी भी ठीक-ठाक माना जाता है। लेकिन इससे कम पानी संकट की स्थिति मानी जाती है। बड़े तालाबों से सिंचाई भी होती है। किसान पंप के जरिये यहां से पानी लेते हैं। लेकिन पानी कम होने पर सिंचाई में परेशानी होती है। बड़े तालाबों को भूजल का बड़ा रिचार्ड स्थल भी माना जाता है। लेकिन जब ये ही संकट में होंगे तो भूजल का स्तर नीचे जाना भी तय है। दरअसल, तालाब और भूजल का संबंध जुड़ा है। किसी एक के संकट में आने पर दूसरे के भी संकट में आने की संभावना रहती है।

क्या हो रही है परेशानी
तालाबों के सूखने के कारण भूगर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। मवेशियों को पेयजल में दिक्कत हो रही है। यही नहीं आसपास के इलाकों में सिंचाई में भी परेशानी हो रही है। तालाब सूखने और बेकार पड़े रहने के कारण इनमें कई अतिक्रमण के भी शिकार हो रहे हैं।