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प्रधानमंत्री मोदी 27 जून को शहडोल में सिकल सैल एनीमिया उन्मूलन मिशन-2047 का शुभारंभ करेंगे

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भोपाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर 'सिकल सैल एनीमिया मिशन-2047' का शुभारंभ 27 जून को शहडोल में करेंगे। सिकल सैल एनीमिया उन्मूलन मिशन-2047 के शुभारंभ कार्यक्रम में केन्द्र सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और राज्यों के प्रतिनिधि वर्चुअली शामिल होंगे।

सिकल सैल एनीमिया एक प्रकार की अनुवांशिक बीमारी (जेनेटिक डिसआर्डर) है । माता और पिता दोनों में सिकल सैल के जीन होने पर उनके बच्चों में सिकल सैल बीमारी का होना स्वाभाविक होता है। सिकल सैल बीमारी में रोगी की लाल रक्त कोशिकाएँ हँसिए के आकार में परिवर्तित हो जाती हैं। हँसिए के आकार के ये कण शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँच कर रूकावट पैदा करते हैं। इस जन्मजात रोग से ग्रसित बच्चा शिशु अवस्था से बुखार, सर्दी, पेट दर्द, जोड़ों एवं घुटनों में दर्द, सूजन और कभी रक्त की कमी से परेशान रहता है।

सिकल सैल एनीमिया 3 प्रकार का होता है। पहला प्रकार सिकल वाहक है। सिकल वाहक में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते और ऐसे व्यक्ति को उपचार की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन ऐसे व्यक्ति को यह पता होना चाहिये कि वह सिकल वाहक है। यदि अनजाने में सिकल वाहक दूसरे सिकल रोगी से विवाह करता है, तो सिकल पीड़ित संतान पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।

दूसरे प्रकार के सिकल रोगी में सिकल सैल बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। इन्हें उपचार की आवश्यकता होती है। सिकल बीटा थेलेसिमिया तीसरे प्रकार का सिकल सैल रोग है। बीटा थैलेसिमिया बीटा ग्लोबिन जीन में दोष के कारण होता है।

सिकल सैल बीमारी अनुवांशिक बीमारी है। सिकल सैल रोगी के साथ खाना खाने, साथ रहने, हाथ मिलाने अथवा गले मिलने से यह रोग नहीं होता। यह बीमारी केवल माता-पिता से ही बच्चों में आ सकती है। जिसे बचपन में यह बीमारी नहीं है, उसे आगे जिंदगी में कभी भी किसी भी तरीके से सिकल सैल की बीमारी नहीं हो सकती।