नयी दिल्ली
वर्तमान में दुनियाभर में 50 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और अगले 30 साल में हर देश में मधुमेह पीड़ितों की संख्या में इजाफा होने का अंदेशा है जो दोगुनी होकर 1.3 अरब तक पहुंच सकती है। ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक नए विश्लेषण में यह दावा किया गया है।.
मुख्य लेखक एवं यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) में मुख्य शोध विज्ञानी लियान ओंग ने कहा, ‘‘जिस गति से मधुमेह के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है वह न केवल चिंताजनक है बल्कि दुनिया में प्रत्येक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए चुनौतीपूर्ण भी है।’’.
इसी बीच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले 30 सालों में किसी भी देश के डायबिटीज बीमारी की दर में कमी की उम्मीद नहीं है. डेटा को विशेषज्ञों ने चिंताजनक बताते हुए कहा कि डायबिटीज ग्लोबल लेवल पर अधिकांश बीमारियों को पीछे छोड़ रहा है, जो लोगों और हेल्थ सिस्टम के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है.
सबसे बड़े पब्लिक हेल्थ खतरों में से एक
डॉ. शिवानी अग्रवाल का कहना है कि डायबिटीज हमारे समय के सबसे बड़े पब्लिक हेल्थ खतरों में से एक है. आने वाले 30 सालों में हर देश, आयु वर्ग के लोगों में बढ़ेगा. ये दुनिया भर में हेल्थ सिस्टम के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाएगा. पिछले हफ्ते जारी एक अन्य लैंसेट पेपर के अनुसार भारत में कई अन्य देशों की मुकाबले में Non-Communicable बीमारियों की संख्या बहुत ज्यादा है.
भारत देश में 101 मिलियन लोगों को डायबिटीज है. 136 मिलियन लोग प्री डायबिटिक हैं. इस अनुमान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2045 तक डायबिटीज से पीड़ित तीन-चौथाई से अधिक एडल्ट Low and Low Middle Income Countries (LMIC) में रहेंगे, जिनमें से 10 में से 1 से भी कम को देखभाल और इलाज की सुविधा मिलेगी.
विश्लेषण के अनुसार, हालिया और सबसे अधिक व्यापक गणनाएं दिखाती हैं कि रोग की मौजूदा वैश्विक प्रसार दर 6.1 प्रतिशत है जो इसे मृत्यु एवं निशक्तता के 10 प्रमुख कारणों में से एक बनाती है।
अध्ययन से यह पता चला है कि क्षेत्रीय स्तर पर यह दर उत्तर अमेरिका और पश्चिम एशिया में सबसे अधिक 9.3 प्रतिशत है जो 2050 तक बढ़कर 16.8 होने की संभावना है और लातिन अमेरिका एवं कैरेबियाई देशों में यह दर 11.3 प्रतिशत है।
अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि मधुमेह के लक्षण विशेष रूप से 65 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में पाए गए हैं और उक्त जनसांख्यिकीय के लिए 20 प्रतिशत से अधिक की वैश्विक प्रसार दर दर्ज की गयी। क्षेत्रीय आधार पर उत्तर अफ्रीका और पश्चिम एशिया में इस आयु वर्ग में सर्वाधिक दर 39.4 प्रतिशत थी, जबकि मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में यह सबसे कम 19.8 प्रतिशत थी।
2050 तक विश्व की जनसंख्या लगभग 9.8 बिलियन
संयुक्त राष्ट्र ने भी भविष्यवाणी की है कि 2050 तक विश्व की जनसंख्या लगभग 9.8 बिलियन हो जाएगी. इससे पता चलता है कि तब तक सात में से एक व्यक्ति डायबिटीज के साथ जी रहा होगा. विस्कॉन्सिन मेडिकल कॉलेज के सह-लेखक लियोनार्ड एगेडे ने कहा कि आवासीय अलगाव जैसी नस्लवादी नीतियां लोगों के रहने के स्थान, स्वस्थ भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच को प्रभावित करती हैं. इन सब में बढ़ती डायबिटीज असमानता के कारण काले, हिस्पैनिक और स्वदेशी लोगों सहित नस्लीय और जातीय समूहों के लोगों के लिए देखभाल में अंतर पैदा हो जाता है.