न्यूयॉर्क
रविवार को अटलांटिक महासागर के गहरे पानी में उतरी टाइटन पनडुब्बी जबरदस्त विस्फोट का शिकार हो गई है और उसमें सवार सभी पांच लोगों की मौत हो गई है. अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि पनडुब्बी के मलबे टाइटैनिक के मलबे से कुछ दूरी पर मिले हैं. पनडुब्बी में सवार सभी लोग 111 साल पहले डूबे टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने निकले थे.
टाइटन पनडुब्बी रविवार से ही लापता थी जिसकी तलाश के लिए अमेरिका ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया है. पनडुब्बी को जहाज पोलर शिप से रविवार को समुद्र में उतारा गया था लेकिन एक घंटा 45 मिनट बाद ही इसका संपर्क जहाज से टूट गया. पनडुब्बी का संपर्क जब जहाज से टूटा तब वो अमेरिकी तट से 900 नॉटिकल माइल्स दूर Cape Code के पूर्व में थी.
आखिर क्या हुआ पनडुब्बी के साथ?
पनडुब्बी की खोज में जुटे लोगों का कहना है कि पनडुब्बी समुद्र में भयंकर विस्फोट का शिकार हो गई. तलाशी अभियान का नेतृत्व कर रहे यूएस कोस्ट गार्ड के रियर एडमिरल जॉन मॉगर ने गुरुवार की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुष्टि की कि टाइटन भारी दबाव के कारण विनाशकारी विस्फोट का शिकार हो गई और उसके मलबे से इस बात की पुष्टि होती है. उन्होंने कहा कि पनडुब्बी Catastrophic Implosion का शिकार हो गई है.
उन्होंने समुद्र के चुनौतीपूर्ण वातावरण का जिक्र करते हुए कहा, 'समुद्र तल का वातावरण इतना चुनौतीपूर्ण है कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. हमें जो मलबा मिला है उससे पता चलता है कि पनडुब्बी Catastrophic Implosion का शिकार हुई होगी. हम इस पर काम करना जारी रखेंगे और पनडुब्बी के सभी मलबों की तलाश करेंगे.'
उन्होंने कहा कि बाकी मलबा मिलने के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा कि पनडुब्बी के साथ आखिरकार वास्तव में हुआ क्या. उन्होंने कहा कि कई देशों के विशेषज्ञों से इस जांच में मदद ली जाएगी.
तलाशी अभियान से जुड़े लोग यह भी कह रहे हैं कि जहाज से संपर्क टूटने के बाद ही पनडुब्बी में विस्फोट हो गया होगा.
कितना खतरनाक था विस्फोट?
टाइटन पनडुब्बी केटास्ट्रोफिक विस्फोट (catastrophic implosion) के कारण बीच समुद्र में चकनाचूर हो गई.
Catastrophic implosion विस्फोट के विपरीत होता है जिसमें कोई वस्तु अपने आप में समाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाती है. इसे ऐसे समझा जा सकता है जैसे आप किसी गुब्बारे में हवा भर रहे हों और अधिक हवा के कारण वो फट जाए.
सोशल मीडिया पर कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जिसमें दावा किया जा रहा है कि पनडुब्बी का विस्फोट कुछ इस तरह दिख रहा होगा-
पनडुब्बी गहरे समुद्र में थी जहां दबाव काफी ज्यादा था. ऐसे में पनडुब्बी में छोटी सी संरचनात्मक खराबी भी विनाश का कारण बन सकती थी. टाइटन का मलबा जहां मिला है वहां दबाव 60,000 पाउंड प्रति इंच के करीब है. यह दबाव ऊपरी दबाव की तुलना में 390 गुना ज्यादा होता है.
'प्रेशर चैम्बर में आई होगी कोई खराबी'
पांच लोगों को लेकर टाइटैनिक की यात्रा पर निकले पनडुब्बी में एक प्रेशर चैम्बर बना था जो अंदर के दबाव पर बाहर के दबाव का असर नहीं आने देता और अंदर के दबाव को एक जैसा बरकरार रखता है. पनडुब्बी में एक प्रेशराइज्ड गैस सिस्टम भी होता है जो अंदर के दबाव को कम रखने और यात्रियों को सांस लेने में मदद करता है.
अमेरिकी नौसेना में समुद्री चिकित्सा और रेडिएशन हेल्थ के पूर्व निदेशक डॉ. डेल मोले ने कहा, 'यात्री पनडुब्बी में बने प्रेशर चैम्बर के अंदर ही रहते हैं. ऐसा लगता है जैसे वो बहुत नीचे चले गए थे और प्रेशर चैम्बर फट गया.'
प्रेशर चैम्बर के आंतरिक दबाव में बदलाव कैसे हुआ, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है. लेकिन विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इस तरह का भयंकर विस्फोट लीक, बिजली जाने, छोटी-मोटी आग लगने या शॉर्ट सर्किट के कारण हो सकता है.
जब प्रेशर चैम्बर के आंतरिक दबाव में बदलाव हुआ होगा तब तुरंत एक भयंकर विस्फोट हुआ होगा क्योंकि उच्च दबाव वाला पानी पनडुब्बी के अंदर घुस गया होगा. पलक झपकने से भी कम समय में पनडुब्बी का कवर, लैंडिंग फ्रेम सब नष्ट हो गया होगा और पनडुब्बी में मौजूद लोग कुछ समझ पाने से पहले ही मौत के मुंह में समा गए होंगे.
जर्नल ऑफ फिजिक्स: कॉन्फ्रेंस सीरीज के अनुसार, इस तरह का विस्फोट बहुत तेजी से होता है और महज कुछ मिलीसेकंड में ही पनडुब्बी टुकड़ों में बंट गई होगी.
कैसे खोजा गया टाइटन का मलबा?
टाइटन के मलबे को कनाडा के जहाज डीप एनर्जी से संचालित किए जाए रहे रिमोट ऑपरेटिंग व्हीकल (ROV) से खोजा गया. यह एक रोबोटिक मशीन है जिसने टाइटन पनडुब्बी के पांच मलबों को ढूंढ निकाला है.
रोबोट को मलबा समुद्र के तल में पड़ा मिला. यह मलबा टाइटैनिक के अगले हिस्से के मलबे से 16,000 फीट की दूरी पर मिला है.
'लोगों के चिथड़ें उड़ गए होंगे'
डॉ. मोले ने डेली मेल से बातचीत में कहा कि पनडुब्बी में सवार लोगों की मौत समुद्र के भारी दबाव के कारण हुए विस्फोट से एक झटके में हो गई होगी.
उन्होंने कहा, 'यह इतना अचानक हुआ होगा कि पनडुब्बी में सवार लोग समझ ही नहीं पाए होंगे कि दिक्कत क्या हुई है और उनके साथ क्या हुआ. यह ऐसा है जैसे आप एक मिलिसेकंड में जिंदा हैं और दूसरे ही मिलिसेकंड में आपकी मौत हो जाती है. उनके चिथड़े उड़ गए होंगे.'
ब्रिटेन के पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी के डीप सी इकोलॉजिस्ट निकोलाई रोटरमैन का भी कहना है कि अगर इस तरीके से पनडुब्बी में विस्फोट हुआ है तो उसमें सवार लोगों की मौत तुरंत हो गई होगी.
क्या मृतकों के शव बरामद हो पाएंगे?
पनडुब्बी में पांच यात्री सवार थे जिनमें पनडुब्बी को बनाने वाले पायलट और ऑशन गेट के सीईओ स्टॉकटन रश, ब्रिटेन के अरबपति बिजनेसमैन हार्मिश हार्डिंग, फ्रेंच एक्सप्लोरर पॉल आनरी नार्जेलेट, पाकिस्तानी बिजनेस टाइकून शहजादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान दाऊद शामिल थे.
यूएस कोस्ट गार्ड का कहना है कि उनके मृत शरीर को शायद कभी न ढूंढा जा सके. उनकी तरफ से कहा गया, 'टाइटन पनडुब्बी में सवार सभी पांच यात्री, मलबे के पास विस्फोट में मारे गए. उनके शवों को शायद हम कभी खोज नहीं पाएंगे.'
जान हथेली पर लेकर टाइटैनिक देखने निकले थे पांचों लोग
टाइटैनिक के मलबे से थोड़ी दूरी पर जहां टाइटन विस्फोट हुआ वो जगह बेहद खतरनाक मानी जाती है. समुद्र के उस जोन को मिडनाइट जोन कहा जाता है क्योंकि वहां घुप्प अंधेरा है. मिडनाइट जोन में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती और वहां कंपा देने वाली ठंड होती है. टाइटैनिक का मलबा अटलांटिक महासागर में 12,500 फीट की गहराई में पड़ा है. पानी के तेज बहाव के कारण यहां खतरनाक करंट भी बनता है.
यहां जाने वाले लोग इस बात से वाफिक थे कि टाइटैनिक के पास जाने में उनकी जान भी जा सकती है. ऑशन गेट जिन यात्रियों को टाइटैनिक का मलबा दिखाने ले जाती है, वो सभी यात्री एक डॉक्टूमेंट पर हस्ताक्षर करते हैं जिसमें लिखा होता है कि यात्रा में जो भी खतरे सामने आएंगे, उसके लिए कंपनी जिम्मेदार नहीं होगी बल्कि यात्री स्वयं जिम्मेदार होंगे.
डॉक्यूमेंट में कई बार मौत के जोखिम का भी जिक्र होता है. टाइटन में सवार यात्रियों को इससे जुड़ी जोखिम की जानकारी थी.