उज्जवल प्रदेश, भोपाल.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को एक दिवसीय प्रवास पर बालाघाट आएंगे। शाह के दौरे के जरिये भाजपा महाकोशल के बिगड़े समीकरणों को साधेगी। बालाघाट मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है, इसलिए माना जा रहा है कि शाह का दौरा आदिवासियों को साधने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके आसपास के जिले सिवनी और छिंदवाड़ा भी आदिवासी बहुल हैं।
शाह के इस दौरे को भाजपा की चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बालाघाट से पहले छिंदवाड़ा और सतना प्रवास पर आ चुके हैं। सतना में वह शबरी जयंती पर आयोजित कोल समाज के सम्मेलन में शामिल हुए थे। माना जा रहा है कि महाकोशल क्षेत्र के समीकरणों को साधने के लिए सम्मेलन में शाह को बालाघाट आमंत्रित किया गया है। इसका लाभ आदिवासी वोट के रूप में पार्टी को मिलेगा। भाजपा का परंपरागत गढ़ माने जाने वाले महाकौशल क्षेत्र में पार्टी को नगरीय निकाय चुनाव में झटका लगा है।
जबलपुर नगर निगम और बालाघाट जिला पंचायत में में कांग्रेस के को विजय मिली थी। क्षेत्र के भाजपा नेता पार्टी से इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि क्षेत्र को शिवराज मंत्रिमंडल में पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया है। इन प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल करने के लिए शाह को बुलाया गया है। सम्मेलन के मंच पर स्थानीय नेताओं को आने का मौका मिलेगा।
गढ़ में पिछली बार तीन सीटें हार गई थी भाजपा
बालाघाट भी भाजपा का गढ़ रहा है लेकिन जिले की सात में से तीन सीटें भारतीय जनता पार्टी के पास नहीं हैं। इनमें आदिवासी सीट बैहर भी शामिल है। बेहर से कांग्रेस के संजय उईके विधायक हैं। संजय के पिता गणपत सिंह उईके भी दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे हैं।
लांजी विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस की हिना कांवरे का कब्जा है, वह 2013 से दो चुनाव जीत चुकी हैं। हिना कमल नाथ सरकार के दौरान मप्र विधानसभा में उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। लांजी से भाजपा के रमेश भटेरे 2008 में चुनाव जीते थे। यहां से स्व दिलीप भटेरे (भाजपा)और नरबदा प्रसाद श्रीवास्तव विधानसभा उपाध्यक्ष व मंत्री रह चुके हैं। भाजपा का लक्ष्य इस बार ऐसी जटिल सीटों को कांग्रेस से छुड़वाना है।
- महाकोशल में कुल सीटें- 38
- भाजपा-13
- कांग्रेस-24
- अन्य-एक