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पंजाब सरकार UPSC से अलग कैसे अपना DGP चुनेगी, खत्म होगी तीन नामों की बाध्यता

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चंडीगढ़
पंजाब की भगवंत मान सरकार ने विधानसभा से एक विधेयक पारित किया है। इसके बाद वह अपनी ही पसंद के किसी पुलिस अधिकारी को डीजीपी नियुक्त कर सकेगी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बाद पंजाब ऐसा तीसरा राज्य है, जिसने UPSC को बाईपास करके डीजीपी चुनने के लिए कानून बना लिया है। मंगलवार को ही पंजाब की विधाानसभा ने इस संबंध में विधेयक पारित किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से तय नियम के मुताबिक अब तक डीजीपी के चयन के लिए राज्य सरकार योग्य अफसरों की लिस्ट UPSC को भेजती है। फिर उनमें से तीन नामों को चुनकर UPSC वापस भेजती है, जिनमें से किसी एक अफसर को डीजीपी नियुक्त करने का फैसला होता है।

अब पंजाब सरकार ने जो नया विधेयक पारित किया है, उसके मुताबिक UPSC को नाम ही नहीं भेजने होंगे। खुद अपने स्तर पर ही पंजाब सरकार डीजीपी के पद पर किसी अफसर की नियुक्ति कर सकेगी। नए विधेयक में प्रस्ताव है कि पंजाब सरकार डीजीपी के चयन के लिए तीन अफसरों के नाम तय करने को एक समिति बनाएगी। यह समिति तीन नाम तय करेगी, जिनमें से किसी एक अधिकारी को सरकार डीजीपी बनाएगी। विधेयक के अनुसार राज्य सरकार सेवा की अवधि, सेवा रिकॉर्ड और अनुभव सहित विभिन्न मानदंडों के आधार पर पात्र अधिकारियों में से तीन अधिकारियों की सूची तैयार करने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन करेगी।

इस समिति का नेतृत्व पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। इसके अलावा राज्य के मुख्य सचिव, यूपीएससी के एक नामित सदस्य, पंजाब लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष, गृह मंत्रालय के एक नामित सदस्य और पंजाब पुलिस के एक पूर्व डीजीपी को समिति में शामिल किया जाएगा। इस समिति के संयोजक के तौर पर पंजाब के गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव संयोजक होंगे। इस तरह यूपीएससी की प्रक्रिया के बिना ही पंजाब सरकार अपनी पसंद के अफसर को डीजीपी बना लेगी। हालांकि इस विधेयक को अभी मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद ही यह कानून बन सकेगा।

गौरतलब है कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और एलजी के बीच प्रशासनिक कामकाज को लेकर खींचतान रहती है। यही नहीं सेवाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी मामला गया था और अंत में केंद्र सरकार इस मामले में एक अध्यादेश भी ले आई है। इसके बाद अरविंद केजरीवाल सरकार लगातार कह रही है कि अब राज्य सरकार का कोई रोल ही नहीं रह जाएगा।