वार्ड मे एंव नर्मदा नदी में बढ़ रहा प्रदूषण , नगर परिषद के जिम्मेदार बेखर
डिंडोोरी
नगर परिषद के जिम्मेदार बेेेखबर है वही प्रशासनिक अमला बेहद ही लापरवाह है जिनके चलते नगर परिषद से लगे मााँ नर्मदा नदी को प्रदूूूषण का ख़तरा बरकरार है वही जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी बेेेखबर है
मामला जिला मुख्यालय के वार्ड क्र 10 शान्ति नगर ,डिंडोरी का जहा नगर परिषद द्वारा पुरे शहर का कचड़ा एकत्रित कर ढेर लगाया जा रहा है।जो की विचार करने योग्य है कारण की उक्त वार्ड मे जहा कचड़ा का ढेर किया जा रहा है।वह मुक्ति धाम स्थल है।ओर माँ नर्मदा से लगा हुआ है।जिससे आम नागरिक आला अधिकारी परिचित है।उसके वाबजूद भी यहा कचड़े का एकत्रित करना निदनीय है।चुकी वह कचड़ा मुक्ति धाम व माँ नर्मदा के तट पर एकत्रित किया जाना आ शोभनीय है।क्योकि कचरे के निपटारे के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन गाड़ियां लोगों के घरों में जाकर कचरा इकट्ठा करती है। लोगों के घरों से कचरा इकट्ठा कर लेना बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात है तो उस कचरे का सही निपटारा करना।
घरों से इकट्ठा किए गए कचरे के संग्रहण और निपटारे के लिए विगत महीनों पहले नगर से बाहर रयपुरा के पास खुली और खाली जमीन पर कचरा डंप किया जाता रहा। खुले में कचरा डंप किए जाने के कारण कचरा यहां वहां फैलने लगा। जिससे लोगों ने आपत्ति उठाई। उसके बाद कचरा ग्राम हिनौता के पास डंप किया जाने लगा लेकिन कुछ समय बाद वहां के रहवासियों और पंचायत ने इस पर आपत्ति उठाई और फिर वहां से भी स्थान बदल दिया गया। वर्तमान समय में नगर के सभी वार्डों से इकट्ठा किया गया कचरा नगर के बीचों बीच नर्मदा गंज शांति नगर शमशान घाट के पास में ही डंप किया जा रहा है।
ओर वार्डो मे दिन भर प्न्नी कागज का ढेर लग जाता है तथा आवागमन मे भी काफी समस्याओ का सामना करना पड़ता है।जब डंप कचड़े को निपटाने के लिए आग लगाई जाती है तो पुरे क्षेत्र मे धुआ-धुआ हो जाता है।अपशिष्ट पदार्थो के जलने से वह धुआ जहरीला होता है ओर उससे बिमारी की आशंका बनती है।राह से निकलना दूभर हो जाता है। घरों मे लोगो को सास लेने मे भी समस्याएँ होती है। कारण की डंप क्षेत्र व्यवास्थीत नही है आ व्यवस्थित है।
नर्मदा जल हो रहा प्रदूषित
जहा कचड़ा डंप किया जा रहा है वहा दिवारे भी नही है।पूर्व मे मुक्ति धाम के लिए बाउन्ड्रिबाल लग भग 5 फिट की बनाई गई थी जो की मुक्ति धाम पर गंदगी से बचाव के लिए थी।
जिसके एक ओर ऊंची दीवार है लेकिन दूसरी ओर नर्मदा नदी की तरफ कोई भी दीवाल नहीं है। जिसके कारण लोगों के घरों से निकला हुआ अपशिष्ट पदार्थ कचरा पॉलिथीन कागज सब कुछ उड़कर नर्मदा नदी में जाता है और नर्मदा नदी को प्रदूषित करता है। साथ ही वही से पुरे शहर के लिये पानी सप्लाई भी की जाती है।दूषित पानी पीने से आम नागरिक बच्चे बुढे व सभी के लिये बिमारी का कारण भी वन सकता है।खुले में कचरा डंप किए जाने के कारण वहां पर मवेशियो का भी जम घट लगा रहता है ओर उसी कचरे को खाते हैं जिसमें पॉलिथीन कांच,सिरिंज अन्य सामग्री होती है। जो जानवरों के लिए भी घातक होती है।जिसे खाकर जानवर बीमार पड़ते हैं और मर भी सकते हैं। हालांकि नगर प्रशासन के पास नगर से निकले हुए कचरे को डंप करने के उचित स्थान की समस्या बनी हुई है परन्तु जिस स्थान पर भी कचरा डंप किया जाता है वहां पर कचरे के निपटारे के लिए उचित व्यवस्था कर दी जाए जिससे कि अपशिष्ट पदार्थ कचरा उड़कर नर्मदा नदी में ना जा सके साथ ही गाय बैल जैसे जानवर भी उसे ना खा सकें। ऐसी व्यवस्था करने के बाद ही कचरे को डंप किया जाना चाहिए।