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पसमांदा पर नजर और 66 सीटों का प्लान, कैसे सपा, कांग्रेस जैसे दलों को झटका दे सकती है भाजपा

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नई दिल्ली

पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ महीने पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने की सलाह भाजपा को दी थी। मुस्लिम समाज में भी वर्गभेद का जिक्र करते हुए उन्होंने पसमांदा समाज के न्याय के लिए भाजपा को सक्रिय होने को कहा था। इसी के तहत यूपी के निकाय चुनाव में भाजपा ने वार्ड स्तर पर 300 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। अब भाजपा इसी नीति पर आगे बढ़ते हुए लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम समाज के उम्मीदवारों को मौका दे सकती है। भाजपा की विपक्ष इस बात के लिए आलोचना करता रहा है कि वह मुस्लिमों को टिकट नहीं देती।

अब भाजपा ने जो रणनीति बनाई है, उससे विपक्ष के नैरेटिव की काट होगी और वह मुस्लिम वर्ग के वोटों में भी सेंध लगाने की स्थिति में होगी। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे ने देश भर में कुल 66 लोकसभा सीटें चुनी हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं। इनमें से कई सीटों पर पार्टी अल्पसंख्यक कैंडिडेट ही उतार सकती है। इन सीटों में से एक केरल की वायनाड भी है, जहां से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 में जीत हासिल की थी। इस सीट पर भाजपा कितनी तैयार है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हाल ही में पूर्व मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने वायनाड में एक कार्यक्रम किया था और मोदी सरकार के 9 सालों के कामकाज का बखान किया था।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के सूत्रों ने बताया कि सभी 66 सीटों पर मु्स्लिमों के बीच काम करने के लिए टीमें बना दी गई हैं। इन इलाकों में पार्टी सूफी सम्मेलन, महिलाओं के सेमिनार कराएगी। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के लाभ को लेकर भी आयोजन होंगे। अल्पसंख्यकों के बीच ऐसे लोगों को पार्टी टारगेट कर रही है, जो पेशेवर हैं और समाज में ओपिनियन लीडर की भूमिका अदा कर सकते हैं। इन लोगों में डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर आदि हैं। भाजपा को लगता है कि भले ही ये लोग पार्टी जॉइन ना करें, लेकिन अपने समाज में सकारात्मक माहौल जरूर तैयार कर सकते हैं।

इन लोगों को पार्टी 'मोदी मित्र' का दर्जा देने का प्लान बना रही है। मुस्लिमों को टिकट के सवाल पर भी भाजपा नेताओं का कहना है कि यदि वे जिताऊ होंगे और जनता में उनकी पकड़ होगी तो जरूर मैदान में उतारा जाएगा। पार्टी ने जिन 66 मुस्लिम बहुल सीटों को चुना है, उनमें से 13-13 यूपी और बंगाल में हैं। केरल और असम में 6-6 सीटें हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में 5, बिहार में 4, मध्य प्रदेश में 3, तेलंगाना, हरियाणा, दिल्ली और गोवा में 2-2 सीटें हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र और लक्षद्वीप में भी एक-एक सीट हैं। हालांकि पंजाब में किसी सिख बहुल सीट के लिए भाजपा ने कोई प्लान नहीं बनाया है।