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बॉबी ने याद किया, कैसे पिता की दुखद दुर्घटना के बाद मिला हॉकी करियर को आकार

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नई दिल्ली
 भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम के उप कप्तान बॉबी सिंह धामी का मानना है कि उनके अब तक के करियर में नियति की बड़ी भूमिका थी क्योंकि अगर उनके जीवन में व्यक्तिगत त्रासदी नहीं होती तो उन्होंने कभी हॉकी स्टिक नहीं उठाई होती।

बॉबी केवल 10 साल के थे जब उनके पिता श्याम सिंह धामीसड़क दुर्घटना का शिकार हुए और उनकी मां को उन्हें टनकपुर में उनके मामा के साथ रहने के लिए भेजने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा था।

टनकपुर में ही बॉबी ने अपने मामा प्रकाश के साथ प्रत्येक दिन मैदान पर जाने के दौरान खेल के प्रति रुचि विकसित की। प्रकाश राष्ट्रीय स्तर के पूर्व हॉकी खिलाड़ी रहे हैं और अब कोचिंग देते हैं।

बॉबी ने याद करते हुए कहा, ''मेरे पिता की दुर्घटना के बाद जब मेरा परिवार संकट में था तो हमारे पास पैसे नहीं बचे थे। मेरे माता-पिता मेरी शिक्षा का खर्च भी नहीं उठा सकते थे और मेरी मां ने मुझे मेरे मामा के घर भेजने का फैसला किया।''

उन्होंने कहा, ''एक बच्चे के रूप में उस स्थिति से निपटना कठिन था लेकिन अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे अहसास होता है कि अगर वह दुर्घटना नहीं हुई होती तो मैं शायद कभी हॉकी नहीं खेलता।''

बॉबी ने कहा, ''सब कुछ एक कारण से होता है।''

प्रतिभाशाली फॉरवर्ड बॉबी ने खेल में तेजी से प्रगति की और 16 साल की उम्र में उन्हें सोनीपत में साइ केंद्र के लिए चुना गया।

बॉबी ने 2019 में हॉकी इंडिया के जूनियर राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रवेश किया और 2021 में उन्हें भुवनेश्वर में आयोजित जूनियर विश्व कप के लिए वैकल्पिक खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम में चुना गया।

इसके बाद मनिंदर सिंह की चोट ने बॉबी को जूनियर विश्व कप की मुख्य टीम में जगह दिलाई।

उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि मैं अपने करियर में काफी भाग्यशाली रहा हूं। मनिंदर की चोट ने मुझे जूनियर विश्व कप के लिए एकादश में जगह दिलाई।''

बॉबी ने कहा, ''हालांकि हम चौथे स्थान पर रहे और काफी निराश थे लेकिन कांस्य पदक मैच में हार ने हमें आने वाले दिनों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया। हम मानसिक रूप से मजबूत हो गए और खुद से कहा कि हम इसके बाद कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं हारेंगे।''

भारत ने हाल में ओमान में फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर पुरुष जूनियर एशिया कप जीता। बॉबी का मानना है कि भारतीय टीम बड़े कारनामों के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, ''हमने तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद सीनियर टीम को मिलने वाले सम्मान को देखा। यह हमें काफी प्रेरित करता है। हम जानते थे कि बड़े टूर्नामेंट जीतने से हमें भी वही सम्मान मिलेगा और ऐसा हुआ।''

बॉबी ने कहा, ''कल, माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में हमारी जीत का उल्लेख किया। टीम पिछले कुछ हफ्तों में हमें मिली सराहना से अभिभूत है और अब हम मलेशिया में जूनियर विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए और अधिक प्रतिबद्ध हैं।''

जूनियर विश्व कप मलेशिया में पांच से 16 दिसंबर तक होगा।