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आदिपुरुष के मेकर्स पर भड़के सुनील लहरी, ‘शर्मनाक है ‘आदिपुरुष’, बर्बाद किए 600 करोड़’

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मुंबई

आदिपुरुष फिल्म पर बवाल मचा हुआ है. रिलीज के बाद से ही फिल्म की कास्ट, कैरेक्टर्स, डायलॉग्स और यहां तक कि कहानी तक को लेकर मीम्स की बाढ़ आई हुई है. हर कोई फिल्म को निराशाजनक ही बता रहा है. पूरे मामले पर आजतक ने बात की रामानंद सागर की रामायण में लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी से. सुनील ने बताया कि फिल्म कितनी भटकाउ है. उनके मुताबिक ना तो कहानी का कोई मतलब है, ना ही कैरेक्टर्स का. फिल्म के डायलॉग्स पर सुनील का गुस्सा तक भड़क गया.

लॉजिक से परे है आदिपुरुष

सुनील लहरी ने कहा- अगर हम रामायण की कहानी को और दिमाग को अलग कर दें तो ये टाइम पास है. मतलब ये कि इस फिल्म में लॉजिक लगाने की जरूरत नहीं है. मैं सच कहूं तो, ये बेहद शर्मनाक है. अगर वो ये कहते हैं कि हमने रामायण को ध्यान में रखते हुए ये फिल्म बनाई है तो ये बकवास है. रामायण की जो कुछ बातें हैं, या कुछ चीजें हैं, उन्होंने पता नहीं क्यों, मुझे समझ में नहीं आई कि क्यों मेकर्स ऐसा करने की कोशिश की है. कुछ अलग दिखाने के चक्कर में अपने कल्चर से, संस्कृति के साथ में खेलना नहीं होता है. उन्होंने अपनी फिल्म के डिस्क्लेमर में साफ-साफ लिखा है कि ये पूरी तरह से वाल्मिकी की लिखी रामायण पर आधारित है. जब वाल्मिकी रामायण को आप देखकर बना रहे हो तो, आपने हर जगह देखा-पढ़ा होगा कि रावण, पुष्पक विमान से आता है. लेकिन यहां चमगादड़ के ऊपर आता है. पता नहीं क्यों इन लोगों ने ऐसा किया है?

बे-सिरपैर के सीन्स की भरमार

सुनील ने आगे कहा- फिर उसके बाद, लक्ष्मण और मेघनाद की जो जंग थी. वो हमेशा हमने पढ़ी कि हवा में हुई थी, लेकिन पता नहीं क्यों इन्होंने उसे पानी के अंदर दिखाया. कोई भी कैरेक्टर को सही तरीके से नहीं दिखाया गया है. मैं एक्टर्स को दोष नहीं दूंगा. उन्होंने अपना काम किया. लेकिन आप उन्हें सही से नहीं दिखा पाए. पूरी फिल्म में आप पर एक कैरेक्टर जो इम्पैक्ट छोड़ता है, वो है सैफ अली खान का. लेकिन वो रावण नहीं है. क्योंकि यहां रावण लोहा पीट रहा है. वो सोने की लंका का राजा है. उसने दुनिया का सबसे खूबसूरत देश जीता है. आप उसे क्या बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये किसी विदेशी ने बनाई होती तो समझ भी आता कि उन्हें पता, हमारी संस्कृति के बारे में. लेकिन ये तो वही लोग हैं जो इस देश की जड़ों से जुड़े हैं.

इमोशनलेस है लक्ष्मण का कैरेक्टर

लक्ष्मण रोल पर सुनील ने खासी नाराजगी जाहिर की और कहा कि मुझे तो समझ ही नहीं आया कि ये किया क्या? बस मारना है तो मार दो. किसी भी सीन में कोई इमोशन ही नहीं है. लक्ष्मण को भी ऐसे डायलॉग्स दिए गए हैं कि बस बोल दो. किसी भी कैरेक्टर से जस्टिफिकेशन नहीं किया गया. वहीं इस फिल्म के डायलॉग्स तो अलग ही लेवल के हैं. आप सोच भी नहीं सकते हैं कि हनुमान जी जैसे कैरेक्टर के मुंह से आप सुनेंगे कि तेल तेरे बाप का…ये क्या है? अब कह रहे हैं कि डायलॉग्स बदल देंगे. अरे डायलॉग चेंज करने की नौबत आई ही क्यों? आप इतनी समझ क्यों नहीं लगा पाए कि मायथोलॉजिकल कैरेक्टर कैसे डायलॉग बोलेंगे. इसे सही करने की नौबत आई ही क्यों? ये रिलीज होने से पहले ही सोच लेनी चाहिए थी. ये तो साफ बिजनेस नजर आ रहा है कि लोग देखेंगे, चिल्लाएंगे, पब्लिसिटी मिलेगी. अपने ही देश के कल्चर को इस तरह से बदनाम कर रहे हैं.

बच्चों को करेगी मिसगाइड

सुनील ने कहा- ये एक फैंटेसी फिल्म है, सुपरहीरो वाली, बच्चा कोई देख ले. पूरी तरह से निराशाजनक है. किसी को कहानी बताने लायक नहीं है. लेकिन ये फिल्म बच्चों को भी मिसगाइड करेगी. अगर ये रामायण पर बेस्ड ना होकर, सिर्फ एक सुपरहीरो वाली फिल्म होती तो एक पल के लिए कोई देख लेता, चल जाती. लेकिन इसे तो रामायण के नाम पर कुछ भी बना दिया गया है. इतना खर्चा किया, 600 करोड़ रुपये, इतने में तो पांच फिल्में बना लेते. बच्चे तक नहीं समझ पाएंगे कि आदिपुरुष की कहानी क्या है. सुनील ने फिल्म के कई सीन का जिक्र कर बताया कि ये कहीं से भी दर्शकों को वो फील नहीं दे पाती है, जो रामायण देख कर आनी चाहिए. मैंने तो पूरा सीन तक नहीं देखा. इतना लाउड क्लाइमैक्स दिया हुआ है कि मैं बर्दाश्त ही नहीं कर पाया.