रायपुर
कर्नाटक में पांच गारंटी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस को अपने चुनावी वादे पूरा करने में पिछले दिनों तब झटका लगा था, जब केंद्र सरकार के अधीन आने वाले भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने राज्य को चावल देने से मना कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस शासित दूसरे राज्य छत्तीसगढ़ ने कर्नाटक की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को 1.5 लाख टन चावल मुहैया कराने का वादा किया है।
कर्नाटक में कांग्रेस ने चुनावी वादे में कम आय वाले परिवारों को दस किलो चावल मुफ्त देने का ऐलान किया था। जब सिद्धरमैया सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए कदम बढ़ाए तो FCI ने चावल देने से मना कर दिया। सिद्धारमैया का आरोप है कि FCI के पास सात लाख मीट्रिक टन चावल का भंडार है। बावजूद इसके चावल देने से मना कर दिया, जबकि कर्नाटक की मांग सिर्फ 2.28 लाख मीट्रिक टन ही था।
इस बीच, कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ का पॉजिटिव रिस्पॉन्स कर्नाटक के लिए ताजी हवा के झोंके के रूप में आई है। हालांकि, कर्नाटक सरकार को भारतीय खाद्य निगम के बिक्री मूल्य की तुलना में छत्तीसगढ़ के चावल का दाम महंगा लगता है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कीमतों की तुलना करते हुए मीडिया से कहा, "छत्तीसगढ़ ने ऊंची कीमत बताई है।" सीएम ने कहा कि उन्होंने अपने तेलंगाना समकक्ष से भी बात की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, जबकि राज्य सरकार आंध्र प्रदेश के साथ अभी भी बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ी सफलता भी मिली है। सीएम ने कहा कि FCI का रेट 3400 रुपये प्रति क्विंटल और 2.60 रुपये प्रति किलो परिवहन लागत के मुकाबले छत्तीसगढ़ का ऑफर प्राइस ज्यादा है।
सीएम सिद्धारमैया ने लाभार्थियों को 5 किलो चावल के बराबर का राशि सीधे लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से उनके खातों में पैसे हस्तांतरित करने के सुझाव पर बीजेपी की कड़ी आलोचना की और कहा, "हम चावल देना चाहते हैं ताकि वे इसे पका सकें और खा सकें। क्या लोग पैसे खा सकते हैं? सीएम ने कहा कि अगर बीजेपी को गरीबों की कोई चिंता है तो ऐसे सुझाव देने की बजाय केंद् सरकारर पर दबाव बनाएं।"
राज्य रायतु संघ की मांग कि राज्य किसानों से चावल खरीदे, सीएम ने कहा कि सरकार रायचूर क्षेत्र में उगाए जाने वाले सोना मसूरी चावल को नहीं खरीद सकती क्योंकि यह महंगा है। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने 9 जून को FCI को पत्र लिखकर 2,28,000 टन चावल की मांग की थी। FCI 3,400 रुपये प्रति क्विंटल पर चावल बेचने के लिए सहमत हो गया था, लेकिन चार दिन बाद, केंद्र ने FCI को पत्र लिखकर पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों को चावल और गेहूं की बिक्री बंद करने और इसके बजाय उन्हें खुले बाजार में बिक्री योजना के तहत अनाज बेचने के लिए कहा।