देहरादून शिमला
मैदानी इलाकों के मुकाबले अधिक शांत रहने वाले पहाड़ों पर भी इन दिनों सांप्रदायिकता की आग भड़क गई है। उत्तराखंड से हिमाचल तक में सांप्रदायिक तनाव फैल गया है। दोनों ही जगह दो आपराधिक घटना के बाद दो समुदायों के बीच नफरत फैल गई है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण की कोशिश के बाद तनाव उत्पन्न हो गया तो हिमाचल प्रदेश के चंबा में एक युवक की क्रूरता से हत्या के बाद बवाल हो गया है। उत्तरकाशी में करीब 22 दिन से चल रहे तनाव के बीच जहां कई मुस्लिम परिवारों को पलायन करना पड़ा है तो चंबा में गुरुवार को उग्र भीड़ ने आरोपियों के घर पर आगजनी की।
चंबा में क्यों तनाव?
चंबा के सलूणी निवासी 22 वर्षीय मनोहर 6 जून से घर से लापता था। परिजनों ने इसकी पुलिस में शिकायत दी थी। 9 जून को टुकड़ों में कटी उसकी लाश मिली। बोरी में बंद करके उसके शरीर के टुकड़े नाले में फेंक दिए गए थे। यह मामला प्रेम-प्रसंग और गैर समुदाय में शादी से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि मनोहर का एक मु्स्लिम लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा था। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शव के टुकड़े बरामद किए और प्रेमिका समेत सभी आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। कई दिनों से चल रहे तनाव के बीच गुरुवार को स्थिति बिगड़ गई। भीड़ ने आरोपियों के घरों को जला दिया। किहार थाना से संघणी के लिए निकली भीड़ ने इस घटना को अंजाम दिया। पुलिस के पहुंचने पर भीड़ तितर-बितर हो गई। तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगा दी गई है।
उग्र हो गई भीड़
बुधवार को कुछ नेताओं ने स्थानीय लोगों संग बैठक की थी। इसके बाद गुरुवार को आक्रोशित ग्रामीणों ने सलूणी, संघनी, लचोड़ी, किहार बाजार बंद कर पुलिस थाना परिसर में घुस गए। इस दौरान मौके पर मौजूद प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भीड़ को समझाने की कोशिश करते रहे मगर वे नहीं माने। ये लोग दूसरे समुदाय के हत्यारोपी को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे थे। बहरहाल, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने हालात पर काबू पा लिया है, मगर इसका असर पूरे हिमाचल में देखने को मिल रहा है। भाजपा इसे मुद्दा बनाने में जुट गई है।
उत्तराखंड में क्यों है तनाव?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 26 मई से ही तनाव है। यहां पुरोला शहर में पिछले महीने एक नाबालिग लड़की को भगाने का प्रयास किया गया। जिसमें एक आरोपी दूसरे समुदाय से था। इसे लव जिहाद का केस बताकर हिंदूवादी संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस बीच 15 जून को महापंचायत का ऐलान करते हुए धमकी भरे पोस्टर चिपका दिए गए। तब से ही इलाके में मुसलमानों की दुकानें बंद हैं तो कई परिवार पलायन कर गए। 15 जून को महापंचायत से पहले प्रशासन ने पुरोला में धारा 144 लगा दी। गुरुवार को यहां तनावपूर्ण शांति रही।