नई दिल्ली
6 जून को अरब सागर में उठे महा तूफान बिपरजॉय ने गुरुवार की रात गुजरात में जमकर तबाही मचाई। सबसे पहले यह शाम के वक्त 150 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से कच्छ जिले में जखाऊ पोर्ट से टकराया। इसके बाद इस महातूफान ने सौराष्ट्र और कच्छ के कई इलाकों में चाबुक जैसी तेज वर्षा की। इससे सैंकड़ों पेड़ उखड़ गए। बिजली के कई खंभे गिर गए। तकरीबन 490 गांवों की बिजली गुल रही। एक पिता-पुत्र भी काल के ग्रास में समा गए। हालांकि सरकार पहले से तैयार थी और एक लाख लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा चुकी थी। सवाल यह है कि बिपरजॉय तूफान 10 दिनों तक अरब सागर के ऊपर क्यों मंडराता रहा? क्योंकि समंदर के ऊपर इतने दिनों तक रहने की वजह से ही यह इतना शक्तिशाली बना। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की वजह का खुलासा किया है।
गुरुवार की शाम जखाऊ पोर्ट पर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय के टकराने के वक्त रफ्तार 150 किलोमीटर प्रतिघंटे थी। आईएमडी के मुताबिक, देर रात 125-140 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से दक्षिण राजस्थान की तरफ बढ़ रहा था। लेकिन, कुछ ही घंटों में यह कमजोर पड़ने लगा है। अब इसकी रफ्तार अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है। आईएमडी का पूर्वानुमान है कि अगले कुछ घंटे दक्षिण राजस्थान के कुछ हिस्सों में तेज बारिश हो सकती है। इसके बाद चक्रवात पाकिस्तान के कराची की तऱफ बढ़ेगा और फिर शुष्क हवाओं के प्रभाव में कमजोर होकर स्वत: ही नष्ट हो जाएगा। सवाल यह है कि आखिर बिपरजॉय इतने लंबे वक्त तक अरब सागर के ऊपर कैसे और क्यों मंडराता रहा? क्योंकि इसी वजह से तूफान बेहद शक्तिशाली और विनाशकारी था।
10 दिनों तक मंडराता रहा महा तूफान
पिछले कुछ वर्षों में यह पहली बार है जब कोई चक्रवाती तूफान अरब सागर के ऊपर इतने लंबे वक्त तक मंडराता रहा हो। इससे पहले अरब सागर के ऊपर साल 2019 में चक्रवात क्यार सबसे लंबे समय तक रहा था। क्यार अरब सागर के ऊपर 9 दिन और 15 घंटे तक बना रहा। जबकि, बिपरजॉय ने 10 दिन पूरे किए।
वैज्ञानिक वजह
नासा के हवाले से आईआईटी बॉम्बे में विजिटिंग प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे का कहना है कि बिपरजॉय 6 जून की सुबह अरब सागर के ऊपर बना था। 6 से 7 जून के बीच इसकी रफ्तार 55 से 139 किलोमीटर प्रतिघंटा था। "बिपारजॉय के इतने लंबे समय तक टिके रहने का कारण अरब सागर का गर्म पानी है।" "बिपारजॉय इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे जलवायु परिवर्तन-विशेष रूप से ऊपरी महासागर में वार्मिंग-चक्रवातों को धीमी गति से आगे बढ़ने और लंबे समय तक चलने में योगदान दे रहा है।"
उनका कहना है कि जब चक्रवात बिपरजॉय 6 जून की सुबह बना। उस समय अरब सागर में समुद्र की सतह का तापमान 31 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच था। यह असामान्य रूप से अधिक गर्म था। इस वक्त आमतौर पर अरब सागर की सतह का तापमान 2 से 4 डिग्री के बीच रहता है। लेकिन, ग्लोबल वार्मिंग की वजह यह तापमान अधिक था। वहीं, किसी भी चक्रवात को लंबे वक्त के लिए बने रहने के लिए समंदर की सतह का तापमान कम से कम 27 डिग्री होना चाहिए। आईएमडी के अनुसार, सौराष्ट्र और कच्छ में 16 जून तक भारी से अत्यधिक भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है।