हाल ही में प्रकाशित अखिल भारतीय कन्सेंसस पेपर से पता चलता है कि कॉन्टिन्युअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग उपकरणों से जनरेट टाइम-इन-रेंज डेटा शक्तिशाली मेट्रिक है जिसका उपयोग डायबिटीज से पीड़ित लोग ग्लाइसेमिक नियंत्रण को सुचारू रखने और सही निर्णय लेने के लिए कर सकते हैं।
टीआईआर उस समय का प्रतिशत भाग होता है जब किसी व्यक्ति का ग्लूकोज मान अनुशंसित लक्ष्य सीमा के भीतर होता है और ग्लूकोज लेवल में गतिशील उतार चढ़ाव को कैद करने में प्रभावी होता है। डॉ. प्रशांत सुब्रमण्यम, चिकित्सा मामलों के प्रमुख उभरते एशिया और भारत एबट डायबिटीज केयर ने कहा कि जीवन बदलने वाली तकनीक और नवाचार के साथ डायबिटीज की देखभाल में बहुत विकास हुआ है कॉन्टिन्युअस ग्लूकोज मॉनिटरिंग उपकरण भारत में डायबिटीज प्रबंधन को बेहतर कर सकते हैं। डॉ. मयूर अग्रवाल, डायरेक्टर, हॉर्मोन इंडिया डायबिटीज एंड एंडोक्राइन सेंटर, अपोलो भोपाल ने कहा, 80%+ टीआईआर वाले डायबिटीज से पीड़ित आईसीयू में कम समय बिताते हैं।
भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी डायबिटीज से ग्रसित लोगों की आबादी है, इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि डायबिटीज से पीड़ित लोग अपने उपचार और अपनी स्थिति को बेहतर ढंग से और प्रबंधित करने के लिए उपलब्ध उपकरणों का उपयोग कैसे कर सकते हैं। कॉन्टिन्युसअस ग्लूकोज मॉनिटरिंग जैसे विकल्प बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। कॉन्टिन्यु अस ग्लूकोज मॉनिटरिंग उपकरणों के आने से, लोग देख सकते हैं कि उनके ग्लूकोज का स्तर ऊपर या नीचे चल रहा है या नहीं, और इन्हीं रुझानों से वह उनके भोजन और व्यायाम के बारे में समझदारी से निर्णय लेते हैं।
बार-बार उंगली में प्रिक कराने से राहत देने के अलावा, सीजीएम उपकरण किसी व्यक्ति के डायबिटीज पर नियंत्रण को निर्धारित करने में भी सहायक होते हैं। 70मिलीग्राम/ डीएल और 180 मिलीग्राम/ डीएल के बीच टाइम इन रेंज में बिताए गए समय के भाग को देखकर जिसे अक्सर स्वीट स्पॉट के रूप में जाना जाता है व्यक्ति यह समझ सकता है कि डाइट, भोजन और दवाओं का ग्लूकोज नियंत्रण पर कैसे असर होता है। अक्सर, प्रत्येक दिन में लगभग 17 घंटे या 70 प्रतिशत एक सही टारगेट समय होता है।