नई दिल्ली
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में मिली हार और पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी चुनावी रणनीति बदल दी है। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें से एक में बीजेपी की सरकार है, जबकि दूसरे में गठबंधन सरकार में शामिल है और बाकी में विपक्ष में है। पार्टी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि अब नई रणनीति में केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान करने और उसे चुनावी मोर्चे पर आगे रखने की बजाय राज्य सरकार के कामकाज और उपलब्धियों का पूरा ब्यौरा मतदाताओं तक पहुंचाने का प्लान बनाया गया है।
इस साल के अंतक तक जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मणिपुर है। मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है; मिजोरम में बीजेपी सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार में शामिल है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस शासित राज्य हैं, जबकि तेलंगाना में केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की सत्ता है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं पर पार्टी की "अति-निर्भरता" और राज्य सरकार के कामकाज के लेखाजोखा की उचित और पर्याप्त मार्केटिंग नहीं हो पाने से कर्नाटक में "डबल इंजन" की प्रासंगिकता साबित नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि मई में हुए चुनाव में पार्टी ने वहां अलग तरह की चुनावी प्रक्रिया अपनाई थी, जिसमें केंद्रीय योजनाओं को ही चुनाव अभियान का मुख्य आधार बनाया गया था।
बता दें कि बीजेपी राज्य विधानसभा चुनावों में डबल इंजन की बात करती रही है। डबल इंजन सरकार से मतलब केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी सरकार से है। पार्टी का दावा है कि दोनों जगह सरकार रहने से विकास योजनाओं को तेजी से जमीन पर लाया जा सकता है और चुनावी वादों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता है। पार्टी गुड गवर्नेंस और चुनावी जीत के रूप में इसका पिछले कई साल से उल्लेख करती रही है लेकिन कर्नाटक में यह नहीं चल पाया।
बीजेपी नेता ने कहा, “कर्नाटक का चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए हालिया चुनावों में बेहद निराशाजनक रहा है। पिछले दिसंबर में जब हम हिमाचल प्रदेश (जहां भाजपा सत्ता में थी) का चुनाव हारे थे, तो उसका अंतर बहुत कम रहा था, लेकिन कर्नाटक ने हमारे चुनावी अभियान में खामियों को उजागर कर दिया है। वहां कांग्रेस को न केवल अधिक सीटें मिलीं, बल्कि उसे बड़ा वोट शेयर भी हासिल हुआ है।"
बता दें कि कर्नाटक में जहां भाजपा ने 66 सीटें जीतीं और 36% वोट शेयर हासिल किया, वहीं कांग्रेस ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 135 सीटें और 42.9% वोट शेयर हासिल कर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है।