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Gold के दाम में भारी गिरावट, क्या सोना खरीदने का है ये सही समय?

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 नई दिल्ली.

सोने की कीमतें (Gold Price) काफी समय से एक दायरे में बनी हुई हैं. गोल्ड की कीमतें (Gold Rate) अब 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर से नीचे आ गई हैं. पिछले महीने मजबूत मांग के बाद पीली धातु पर दबाव बना हुआ है. नए वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में सोने में कुछ मजबूत खरीदारी देखने को मिली थी. पिछले महीने की शुरुआत में सोने का भाव 61,800 रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया था. लेकिन अब मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण पीली धातु में 2,500 रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक की गिरावट आई है.

अमेरिकी फेड पर निर्भर कीमतें

रिद्दीसिद्धि बुलियंस (RSBL) के प्रबंध निदेशक पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि 13 जून को अमेरिकी फेड की बैठक से पहले सोने की कीमतें लगभग 60,000 रुपये पर हैं. उन्होंने कहा कि कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि लगातार 10 बार बढ़ोतरी के बाद क्या फेड जून की बैठक में ब्याज दर को रोकेगा या अपने आक्रमक रवैये को बरकरार रखेगा.

 

गोल्ड की बेस प्राइस

मेहता इक्विटीज में कमोडिटीज के वीपी राहुल कलंतरी ने कहा कि इस कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में बड़ी तेजी देखने के बाद, मजबूत डॉलर और ट्रेजरी यील्ड में तेजी के बीच सोने में उच्च स्तर से कुछ प्रॉफिट बुकिंग नजर आई है. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि अब गोल्ड अगले बुल रन के लिए लगभग 60,000 रुपये का आधार बना रहा है.

इसके अलावा, बाजार विश्लेषकों के अनुसार, गर्मी परंपरागत रूप से सोने की कीमतों के लिए एक कमजोर मौसम है. क्योंकि पीली धातु की मांग को बढ़ावा देने के लिए निकट भविष्य में कोई महत्वपूर्ण कारण नजर नहीं आते हैं. साथ ही, वैश्विक इक्विटी बाजारों में खरीदारी ने भी कीमती धातुओं की सुरक्षित खरीद के लिए नजरिए को आसान बना दिया है.

फिर से कीमतों में आ सकती है तेजी

राहुल कलंतरी ने कहा कि यूएस फेड की आगामी बैठक के परिणाम सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं. बैठक के बाद ही गोल्ड की कीमतों को लेकर तस्वीर साफ होगी. कलंतरी ने कहा कि डॉलर इंडेक्स 104.50 के स्तर को बनाए रखने में सक्षम नहीं है, जो सोने की चाल के लिए एक बड़ा ट्रिगर है. अमेरिकी मुद्रास्फीति और अमेरिकी बेरोजगारी संख्या फेड द्वारा ब्याज दर रोकने की तरफ ले जा सकती हैं. इस वजह से सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है.

कितनी घट सकती हैं कीमतें?

राहुल कलंतरी ने आगे कहा कि घरेलू बाजार में भारतीय मुद्रा को समर्थन प्रदान करने के लिए आरबीआई के हस्तक्षेप से सोने की कीमतों को नुकसान हो सकता है. लेकिन हम सोने पर अपने तेजी के नजरिए को बरकरार तब तक रखेंगे, जब तक ये 58,600 रुपये के स्तर से नीचे नहीं टूट जाता है. वहीं, उल्टा यह 61,440 रुपये के आसपास छू सकता है. इसके ऊपर अगला स्तर 62,500 रुपये और 63,650 रुपये प्रति 10 ग्राम हो सकता है.

पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि ब्याज दर की उम्मीदों में यह नया बदलाव सोने के लिए ऊंचा उठना मुश्किल बना रहा है. क्योंकि यह अमेरिकी डॉलर का समर्थन कर रहा है, जो तीन महीने के उच्च स्तर पर कारोबार कर रहा है. उन्होंने कहा कि अगर गोल्ड अपने नियर टर्म सपोर्ट को तोड़ता है तो यह 59,200-58,400 रुपये तक गिर सकता है.