कोलकाता
विपक्षी एकता से जुड़ी बैठक से पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस फिर एकबार आमने-सामने हैं। शुक्रवार को टीएमसी ने दावा किया है कि विपक्ष राज्य में पंचायत चुनाव में देरी करा रहा है। इसपर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साल 2018 का चुनाव याद दिलाया है, जहां '60-70 लोगों की हत्या हो गई थी।' चुनाव को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने हाईकोर्ट का रुख किया है।
कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनावों में नामांकन दाखिल करने के लिए दी गई समय सीमा को प्रथम दृष्टया अपर्याप्त माना है। साथ ही शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग को इस संबंध में 12 जून को अपना जवाब देने को कहा है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'अदालत के निर्देश पर हमें कुछ नहीं कहना है। हम न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि विपक्ष– भाजपा , माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) और कांग्रेस–हार के डर से और सभी सीट पर उम्मीदवारों को खड़ा करने में असमर्थता के कारण पंचायत चुनाव में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'हम उन्हें सभी सीट पर अपने उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित करने की चुनौती देते हैं।'
राज्य में त्रि स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की करीब 75,000 सीट के लिए चुनाव आठ जुलाई को होगा। नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 15 जून तक चलेगी। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग अपना वोट तभी डाल सकते हैं जब केंद्रीय बल तैनात किए जाएं। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'अगर आप डरी हुई नहीं हैं और पंचायत चुनाव कराने की इच्छुक हैं तो केंद्रीय बलों की तैनाती की अनुमति देने में आनाकानी क्यों कर रही हैं?' चौधरी ने यह भी कहा कि नामांकन दाखिल करने के लिए और समय दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'दीदी (ममता बनर्जी) को कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर करना चाहिए, जिसमें घोषणा की गई हो कि वह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगी। हम चुनाव से बचने की कोशिश नहीं कर रहे, लेकिन हम चाहते हैं कि ये शांतिपूर्ण तरीके से हों।' चौधरी ने कहा, 'हमें 2018 के पंचायत चुनाव याद हैं जब डर के कारण लगभग 34 प्रतिशत आबादी वोट नहीं डाल सकी थी। तृणमूल ने बिना किसी चुनौती के कम से कम 20,000 सीट पर जीत हासिल की थी क्योंकि लोग नामांकन दाखिल नहीं कर सके। लगभग 60-70 लोगों की हत्या कर दी गई थी।'
भाजपा ने आरोप लगाया कि नामांकन दाखिल करने के लिए 'कम' समय दिए जाने का कारण विपक्षी दलों को चुनाव लड़ने से रोकना है। भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, 'एसईसी और सत्तारूढ़ तृणमूल इस पंचायत चुनाव को 2018 की तरह एक मजाक बनाना चाहते हैं। जहां तक हमारे उम्मीदवारों की सूची की बात है, तो भाजपा सभी सीटों पर कड़ी टक्कर देगी।'
पहले दलबदल पर भिड़े
हाल ही में कांग्रेस और टीएमसी के बीच सागरदिघी विधायक के दलबदल पर भी अनबन हुई थी। दरअसल, उस दौरान सागरदिघी सीट से उपचुनाव जीते कांग्रेस उम्मीदवार बैरन विश्वास टीएमसी के साथ हो लिए थे। इस मामले पर कांग्रेस और टीएमसी दोनों ने ही एक-दूसरे पर निशाना साधा और सियासी रूप से विश्वासघात बताया था।
खास बात है कि उपचुनाव में जीत के बात पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस का खाता खुला ही था, लेकिन विश्वास के टीएमसी में जाने के साथ ही राज्य में पार्टी विधायकों की संख्या शून्य हो गई है। इसके अलावा सागरदिघी सीट चौधरी के गढ़ मुर्शिदाबाद क्षेत्र में आती है।