लखनऊ
देश में जहां विपक्षी एकता की बात चल रही है, वहीं बसपा एकला चलो की राह पर चलने के लिए पूरी तरह कमर कस कर मैदान में उतर चुकी है। गांव-गांव कॉडर की बैठकें चल रही हैं। इसके सहारे बिरदारी के लोगों को बांधे रखने की कोशिशें की जा रही हैं। युवाओं को जोड़ा जा रहा है। उनके सहारे बिरादारी के सभी घरों में पैठ बनाने की कवायद हो रही है, जिससे पार्टी का झंडा उठा कर वे जीत की राह आसान कर सकें।
15 जुलाई तक कॉडर बैठक
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंडलीय प्रभारियों को 15 जुलाई तक गांव चलो अभियान में कॉडर की बैठकें करने का निर्देश दिया है। इस दौरान जिला से लेकर बूथ कमेटियों को ठीक किया जा रहा है। निष्क्रिय पड़ चुकी कमेटियों में जान फूंकी जा रही है। संगठन में समाज के लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा रही है। जिन क्षेत्रों से पार्टी को छोड़ कर बड़े नेता गए हैं, वहां पर उसी बिरादरी के लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे क्षेत्र व समाज में यह संदेश दिया जा सके कि बसपा ही उसकी असली हितैषी है।
रोज चार से पांच बैठकें
प्रभारियों को रोजाना चार से पांच छोटी-छोटी बैठकें करने का निर्देश दिया गया है। हर बैठक की फोटोग्राफ पार्टी मुख्यालय को भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके जो संगठन विस्तार के लिए जमीनी स्तर पर कितना काम चल रहा है। इन बैठकों में आने वाली भीड़ को भी देखा जा रहा है। पहले जैसी भीड़ आ रही है या नहीं। जहां भी भीड़ कम हो रही है, वहां इसकी क्या वजहें तलाशी जा रही हैं। इससे प्रभारियों के क्षेत्र में प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा। बसपा सुप्रीमो यह भी देखना चाहती हैं कि उन्होंने जिसको जिम्मेदारियां सौंपी हैं, हकीकत में क्या वे उस लायक हैं या भी नहीं।
हर मंडल से दस नामों का पैनल
लोकसभा चुनाव के लिए हर मंडल से कम से कम दस नामों का पैनल भी तैयार कराया जा रहा है। मंडल से आने वाले नामों के आधार पर बसपा सुप्रीमो स्वयं उससे बातचीत कर यह पता लगाएंगी कि क्षेत्र में उसकी स्थिति क्या है। उनकी कसौटी पर खरा उतरने वाले को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा।