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मौसम में उतार चढ़ाव का असर जानवरों पर भी पड़ने लगा है। पिछले साल तक जुलाई-अगस्त में दुधारू पशुओं में दिखने वाली लंपी बीमारी इस बार मई में ही कई गायों को हो चुकी है। आईवीआरआई में जांच के लिए आए कई सैंपलों में इसकी पुष्टि हुई है। सबसे अधिक केस उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मिले हैं। बलरामपुर और गोरखपुर में भी पांच-पांच गायों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। ऐसे में आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने गायों को इस बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन लगवाने की अपील की है।
आईवीआरआई के संयुक्त निदेशक कैडराड डॉ. केपी सिंह ने बताया कि गायों में इस बार लंपी स्किन डिजीज समय से करीब दो महीने पहले दिख रहा है। अमूमन यह बीमारी जुलाई-अगस्त के मौसम में जब गर्मी के बीच बारिश होने पर उमस वाली स्थिति बनती है उस समय यह बीमारी होती थी। इस बार मई में ही उत्तराखंड के उत्तरकाशी में लंपी ने कई गायों को चपेट में ले लिया है। मई में उत्तरकाशी से जितने भी सैंपल आए सभी में लंपी की पुष्टि हुई। वहां पिछले एक महीने में हजार से अधिक गायों में इस बीमारी के लक्षण दिखे। सैंपल जांच में सौ से अधिक गायों में पुष्टि हुई। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के बलरामपुर और गोरखपुर से भी मई के आखिरी सप्ताह में आए पांच-पांच सैंपलों में लंपी स्किन डिजीज की पुष्टि हुई।
गायों के शरीर पर इस बार गाठें दिख रहीं छोटी कैडराड डॉ. केपी सिंह ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज में गायों के शरीर पर गाठें बन जाती हैं। ये गाठें पिछली बार की तुलना में इस बार छोटी दिख रही हैं। उन्होंने बताया कि ये गाठें अमूमन एक से दो इंच साइज में होती हैं। मई महीने में कुछ ऐसी गायों के सैंपल भी जांच में आए, जिनके शरीर पर गाठें छोटी थीं। वैज्ञानिक इसका कारण तलाशने में लगे हैं।