नई दिल्ली
मॉनसून ने गुरुवार को केरल में दस्तक दे दी है और उम्मीद की जा रही है कि महीने के अंत तक देश के ज्यादातर हिस्सों में यह सक्रिय हो जाएगा। देश में मॉनसून की गतिविधि जून के पहले सप्ताह में शुरू होकर 15 जुलाई तक रहती है और इस दौरान लगभग सभी राज्यों में बारिश हो जाती है। लेकिन इस बीच एक नई टेंशन पैदा होती दिख रही है। दरअसल मॉनसून के साथ ही खबर यह है कि अल-नीनो भी सक्रिय है और यह पूरे मॉनसून सीजन के दौरान बना रह सकता है। इससे मॉनसून प्रभावित हो सकता है और बारिश में कमी आ सकती है।
अमेरिकी मौसम एजेंसियों ने बताया कि अल-नीनो की स्थिति बन चुकी है और यह सर्दियों तक बना रह सकता है। प्रशांत महासागर के जल के 6 से 8 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा गर्म होने से अल-नीनो की स्थिति पैदा होती है। इससे अकसर मॉनसून प्रभावित होता है और बारिश में कमी आती है। हालांकि हर बार अल-नीनो के असर से ऐसा नहीं होता है। कई बार अल-नीनो के असर के बाद भी सामान्य या उससे थोड़ी ही कम बारिश हो जाती है। अल-नीनो अमूमन हर 4 साल के अंतराल पर सक्रिय होता है। इससे पहले 2018-19 में अल-नीनो सक्रिय हुआ था।
गुरुवार को अमेरिकी मौसम एजेंसियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक प्रशांत महासागर में अल-नीनो की स्थिति बनने लगी है। महासागर के जल का तापमान औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया है। बता दें कि बीते दोनों महीनों में दुनिया भर की मौसम एजेंसियों ने यह अनुमान जताया है कि इस मॉनसून सीजन के दौरान अल-नीनो सक्रिय हो सकता है। यह भविष्यवाणी सच साबित होती दिख रही है। हालांकि यह देखना होगा कि इसका भारत में कितना असर होगा। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक देश में इस साल औसत बारिश होगी।
22 सालों में भारत में 6 बार सक्रिय हुआ अल-नीनो
भारत में वर्ष 2000 से अब तक 6 बार अल-नीनो सक्रिय हुआ है। आमतौर पर यह मॉनसून सीजन में ही सक्रिय हुआ है और इसका असर बारिश में कमी के तौर पर दिखा है। इस मामले में 2006 का साल अपवाद था, जब अल-नीनो सितंबर में सक्रिय हुआ था और उसका मॉनसून पर ज्यादा असर नहीं दिखा था। इसके अलावा अन्य बाकी 5 सालों में बारिश कम हुई थी और कई इलाकों में तो हालात सूखे वाले बन गए थे। देश भर में इन सालों में 90 फीसदी से भी कम बारिश हुई थी।