रायपुर
मोदी सरकार जनगणना नहीं करवा कर देश के वंचित लोगो के साथ अन्याय कर रही है। जनगणना कार्यक्रम से सरकारी योजनाओं के जो वास्तविक हितग्राही हैं उनके आंकड़े सामने आएंगे और जो हितग्राही जनगणना नहीं होने के कारण योजना का लाभ लेने से वंचित थे उन्हें योजनाओं का लाभ मिलेगा। मोदी सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए हर 10 साल में होने वाले जनगणना को रोके रखी हुई है जनगणना होने से मोदी सरकार की नाकामी सामने आएगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि देश में हर 10 वर्ष के अंतराल में आम जनगणना की व्यवस्था रही है, लेकिन मोदी सरकार देश की पहली और इकलौती सरकार है जो अपनी नाकामी पर पर्दा डालने इरादतन, षडयंत्र पूर्वक आंकड़े छुपाने का काम कर रही है और इसी के चलते राष्ट्रीय जनगणना की अपनी जिम्मेदारियों से केंद्र की मोदी सरकार भाग रही है। केवल जनगणना ही नहीं एनएसएसओ सहित तमाम केंद्रीय एजेंसियां विगत 9 वर्षों से मोदी सरकार के कुशासन पर पर्दा डालने, केंद्र सरकार के दबाव में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, असमानता, वर्तमान आर्थिक नीतियों की जमीनी हकीकत और वास्तविक स्थिति को लेकर तमाम आंकड़े जारी करना बंद कर दिया है।
ठाकुर ने कहा कि उज्जवला योजना और शौचालय भी केवल सरकारी आंकड़ों में दर्ज है। उज्ज्वला योजना के हितग्राहीयों में से 90 प्रतिशत रिफिल कराने में अक्षम हैं। पीएम आवास के मामले में भी भाजपा का दावा पूरी तरह से झूठा निकला। विधानसभा में दिए गए लिखित आंकड़ों में यह प्रमाणित हुआ है कि छत्तीसगढ के लिए अब तक स्वीकृत कुल 18 लाख आवास में से पूर्ववर्ती रमन सरकार ने केवल 237000 ( मात्र 19 हजार शहरी और 2 लाख 18 हजार ग्रामीण) आवास बनाए थे, वर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने विगत 4 वर्षों में छत्तीसगढ़ में 13 लाख (10 लाख 53 हजार ग्रामीण और 2 लाख 47 हजार शहरी क्षेत्रों में) आवास बनाएं हैं। 2011 के बाद से मोदी सरकार के द्वारा जनगणना और सर्वेक्षण की प्रक्रिया दुर्भावना पूर्वक रोक दी गई है, जिससे पात्र हितग्राहियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार है जिसके अधीन केंद्र की सांख्यिकी विभाग और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय अपनी जिम्मेदारी और भूमिका भूल चुका है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार है जिन्होंने आर्थिक-सामाजिक न्याय के लिए तत्परता दिखाई जिसका लाभ आवास, रसोई गैस, शौचालय सहित सरकार के अन्य योजनाओं में भी अब पात्र हितग्राहियों को लाभ मिल सकेगा। ऐसे हितग्राही जो अब तक केवल सर्वे सूची में नाम दर्ज नहीं होने के कारण वंचित थे उन्हें पात्रतानुसार शासन की सभी जनकल्याणकारी का लाभ मिलेगा।