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खूब बरसेंगे बदरा बारिश के दिन शुरू! देर से सही, लेकिन केरल पहुंच ही गया मॉनसून

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नई दिल्ली

दक्षिण पश्चिम मॉनसून (Monsoon in India) ने अपने निर्धारित समय से एक सप्ताह की देरी के बाद गुरुवार को भारत में दस्तक दे दी है। गर्मी और उमस से बेहाल लोगों के लिए राहत भरी खबर है। गुरुवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में प्रवेश कर लिया है। मानसून के अगले 48 घंटों में पूरे केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में दस्तक देने की भी संभावना है। मानसून के जून के अंतिम सप्ताह में मध्य प्रदेश में प्रवेश करने के आसार है।
 मौसम विभाग (IMD) ने मॉनसून के केरल में पहुंचने की घोषणा की है। मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजॉय’ (Cyclone Biparjoy) मॉनसून को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसका शुरुआत ‘मामूली’ होगी। इस साल करीब एक सप्ताह की देरी से मॉनसून केरल पहुंचा है।

धीरे-धीरे बढ़ रहा है आगे

IMD ने गरुवार को एक बयान में कहा, ‘दक्षिण पश्चिम मॉनसून आज आठ जून को केरल पहुंच गया।’ बयान में कहा गया है, ‘मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।’

 

केरल में देरी से पहुंचा मॉनसून

दक्षिण पश्चिम मॉनसून आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है। मई के मध्य में IMD ने कहा था कि मॉनसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काईमेट’ ने केरल में सात जून को मॉनसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मॉनसून सात जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख अलग-अलग रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था।

तो क्या पूरे देश में मॉनसून पहुंचने में होगी देरी?

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को केरल पहुंचा था। शोध से पता चलता है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी का मतलब यह नहीं है कि उत्तर पश्चिम भारत में मॉनसून की शुरुआत में देरी होगी। हालांकि, केरल में मॉनसून के आगमन में देरी आम तौर पर दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मॉनसून की शुरुआत में देरी से जुड़ी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी भी इस मौसम के दौरान देश में कुल वर्षा को प्रभावित नहीं करती।

अलनीनो का होगा बड़ा असर?

IMD ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है। मॉनसून की अवधि के दौरान औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी’ माना जाता है, 90 फीसदी से 95 फीसदी के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा’, 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा’ और 100 फीसदी से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा’ माना जाता है।

मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ हिमाचल पर हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में बना हुआ है। दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि इन दो मौसम प्रणालियों के अलावा वर्तमान में हवा का रुख पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी बना हुआ है। हवाओं के साथ लगातार नमी आ रही है। इस वजह से प्रदेश के अधिकतर जिलों में आंशिक बादल बने हुए हैं।

वातावरण में उमस बढ़ गई है। गुरुवार-शुक्रवार को भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर, चंबल, इंदौर संभाग के जिलों में गरज-चमक के साथ कहीं-कहीं हल्की बौछारें पड़ सकती हैं। गुरुवार को केरल में मानसून का प्रवेश हो चुका है। प्रदेश के लोगों को मानसून की वर्षा के लिए अभी लगभग 15 दिन का इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि तीन दिन बाद प्रदेश में मानसून पूर्व की गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है।