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एनएचएम की प्रदेश के बड़े अस्पतालों में मदर मिल्क बैंक बनाने की योजना कागजों में सिमटी

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भोपाल

जरूरतमंद बच्चों को समय से मां का दूध मिल सके इसके लिए एनएचएम ने भोपाल, इंदौर के बड़े अस्पतालों में मदर मिल्क बैंक बनाने की योजना बनाई थी।  इसकी शुरुआत भी बड़े तामझाम के साथ जेपी हॉस्पिटल में की गई थी।  यहां तो यह बैंक खुल गया, लेकिन अन्य अस्पताल अभी इससे वंचित हैं।  भोपाल के ही हमीदिया, एम्स और काटजू में यह प्लानिंग अभी कागजों में ही है।

लंबे समय से मदर मिल्क बैंक की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) ने इसकी प्लानिंग की थी। इसी साल शहर के सबसे बड़े हमीदिया और एम्स में भी इसकी शुरुआत होनी थी, लेकिन प्लानिंग फेल हो गई। बता दें कि दरअसल मदर मिल्क बैंक में मां के दूध को छह माह तक ताजा रखा जा सकेगा। इन मिल्क बैंकों में माताएं अपना दूध भी दान कर सक ती हैं।
  

गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भोपाल व इंदौर में ह्यूमन मिल्क बैंक खोलने की योजना बनी थी, लेकिन सिर्फ जेपी में ही इसकी शुरुआत हो सकी। मिल्क बैंक में पाश्चराइजेशन यूनिट, रफ्रिजरेटर, डीप फ्रीज जैसे संसाधनों के जरिए छह महीने तक मां का दूध को सुरक्षित रहेगा।

टाल दी गई शिफ्टिंग
कुछ दिनों पहले जेपी अस्पताल का मदर मिल्क बैंक काटजू अस्पताल में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही थी। लेकिन अभी तक यह प्रोसेस सक्सेस नहीं हो सकी। विभिन्न कारणों से इस शिफ्टिंग को टाल दिया गया है।  फिलहाल केवल एक हॉस्पिटल जेपी में ही मदर मिल्क बैंक चल रहा है।

JP: एनक्यूएएस की टीम आज भी देखेगी व्यवस्थाएं
जयप्रकाश चिकित्सालय (जेपी) में नेशनल क्वॉलिटी एश्योरेंस स्टैंडर्स (एनक्यूएएस) की तीन सदस्यों की टीम सात जून तक अस्पताल की व्यवस्थाओं के साथ दस्तावेजों को भी देखेगी। पहले दिन अस्पताल में निरीक्षण के दौरान टीम ने दस्तावेजों की जांच की है। टीम ने यह देखा कि अब 18 बिंदुओं पर फोकस करते हुए व्यवस्था को बेहतर किया जा रहा है या नहीं।