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90 के दशक में पूर्वांचल में बोलती थी मुख्तार की तूती, योगी सरकार के 6 साल में टूटी कमर

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मऊ
उत्तर प्रदेश के मऊ से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी का दशकों पुराना राजनीतिक करियर हाल ही में तेजी से गिरावट आ रही है। एक तरफ जहां योगी सरकार मुख्तार की गैंग की आर्थिक कमर तोड़ने में जुटी है वहीं दूसरी ओर पिछले 9 महीने के भीतर पांचवें मामले में मुख्तार को सजा का एलान हुआ है। पहली बार मुख्तार को उम्र कैद की सजा हुई है। जानकारों की माने तो योगी सरकार के माफियाओं के खिलाफ कड़े रुख की वजह से ही मुख्तार गैंग की कमर टूटी है और वह पहले से ज्यादा कमजोर हुआ है। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बुधवार को प्रयागराज की एक जिला अदालत में पेश किया जाएगा। पूर्व विधायक, जिन्होंने 1997 से 2022 तक लगातार मऊ का प्रतिनिधित्व किया, और उनके परिवार ने खुद को पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में बना रहा।

अफजाल ने 2004 और 2019 में गाजीपुर से जम्मू-कश्मीर के मौजूदा लेफ्टिनेंट-गवर्नर बीजेपी के मनोज सिन्हा को हराकर लोकसभा चुनाव भी जीता था। उनके एक अन्य भाई सिबगतुल्ला ने भी दो बार 2007 और 2012 में मोहम्मदाबाद सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। 2022 के चुनाव में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास को विधायक बनाया। अब्बास ने मऊ सीट जीती, जबकि उनके बड़े भाई सिबगतुल्लाह के बेटे सुहैब अंसारी ने सपा के टिकट पर अपने घरेलू मैदान मोहम्मदाबाद से जीत हासिल की।

मुख्तार के बड़े भाई की भी गई सांसदी
 इससे पहले मुख्तार अंसारी परिवार को एक झटका लगा था जब उसके बड़े भाई अफजाल को 1 मई को एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अदालत ने उसे नवंबर 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और अपहरण के लिए चार साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मुख्तार का बेटा अब्बास कासगंज जेल में बंद है। 90 के दशक में पूर्वांचल में था मुख्तार का दबदबा 90 के दशक की शुरुआत से आपराधिक गतिविधियों में शामिल मुख्तार ने पूर्वी यूपी के एक खूंखार गैंगस्टर के रूप में नाम कमाया। चूंकि उसका गिरोह गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर और जौनपुर जिलों में सक्रिय था।

1995 में मुख्तार बसपा में शामिल हो गया और 1996 के लोकसभा चुनावों में घोसी से दिग्गज कांग्रेसी नेता कल्पनानाथ राय के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहा। इसके बाद बसपा ने उसे मऊ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। अंसारी ने जेल से जीत हासिल की। मऊ सद से कई बार विधायक रहा मुख्तार इसी साल वर्ष बसपा ने भाजपा के समर्थन से अपनी सरकार बनाई थी। जिला जेल से अदालत ले जाते समय डीजीपी कार्यालय में उनकी यात्रा ने राज्य सरकार को शर्मसार कर दिया। बसपा ने अपने सहयोगी दल के दबाव में उन्हें पार्टी से निकाल दिया।

बाद में, अंसारी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में मऊ से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। फिर, 2007 में उन्होंने मऊ से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुआ। 2009 में मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लड़ा था चुनाव लोकसभा 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले, मुख्तार अपने भाई अफजाल के साथ बसपा में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने वाराणसी लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। बसपा में उनकी दूसरी पारी एक साल तक चली, जिसके बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने उन्हें और उनके भाई को 10 अप्रैल, 2010 को निष्कासित कर दिया।