भोपाल
उज्जैन के महाकाल लोक कॉरिडोर में तूफान की वजह से छह सप्तऋषियों की मूर्तियां गिरने के मामले पर आज कांग्रेस प्रदेश के 50 जिलों में एक साथ सरकार के खिलाफ गरजी। भोपाल और उज्जैन को छोड़कर हर जिला मुख्यालय पर कांग्रेस ने पत्रकार वार्ता कर इस मामले में प्रदेश सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया।
इधर लोकायुक्त के आदेश पर शनिवार को तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम महाकाल लोक पहुंच कर जांच करेगी। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने इंदौर में पत्रकार वार्ता की। इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में भी कांग्रेस के विभिन्न नेताओं और प्रवक्ताओं ने पत्रकार वार्ता में बताया कि भाजपा सरकार में योजना बनाई गई। जिसका अनुमानित लागत 97 करोड़ 71 लाख रुपए थी।
कमलनाथ सरकार ने इस राशि को अपर्याप्त मानते हुए इस राशि को बढ़ाकर 300 करोड़ स्वीकृत किये। एफआरपी की प्रतिमाओं की मजबूती हेतु आंतरिक लोहे का ढांचा बनाया जाता है, जो महाकाल लोक की प्रतिमाओं में नहीं बनाया गया। प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली नेट की मोटाई 1200 से 1600 ग्राम जीएसएम की होना चाहिए, लेकिन महाकाल लोक में स्थापित की गई प्रतिमाओं में 150 से 200 ग्राम जीएसएम की ही चाईनीज नेट उपयोग की गई।]
निर्माण की जांच हुई शुरू
इधर लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता के आदेश के बाद महाकाल लोक में हुए निर्माण की जांच शुरू हो गई है। इस जांच के लिए उन्होंने तीन सदस्यों वाली तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम शनिवार को यहां पर भेजी है। यह टीम मौके पर पहुंचकर कर जांच कर रही है। यह जल्द ही अपनी रिपोर्ट लोकायुक्त को देगी।
बिना बेस रखी प्रतिमाएं
प्रतिमाओं को बिना बेस (फाउंडेशन) के 10 फीट ऊंचे पेडिस्टल पर सीमेंट से जोड़ा गया। इसी कारण 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की हल्की रफ्तार से चली हवा में ही प्रतिमाएं गिरकर क्षतिग्रस्त हो गईं। निविदा की शर्त क्रमांक 2 जो कि पृष्ठ क्रमांक 107 पर अंकित है, में स्पष्ट निर्देश हैं कि मूर्तियों की गुणवत्ता की जांच हेतु कार्यस्थल पर ही प्रयोगशाला स्थापित करनी होगी, जो कि नहीं की गई।