जयपुर
राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच विवाद छिड़ा हुआ है। पायलट बीजेपी नेताओं के खिलाफ ऐक्शन समेत कई अन्य मांगों पर अड़े हुए हैं। बीते दिनों कांग्रेस आलाकमान के सामने गहलोत और सचिन पायलट की पेशी भी हुई, जिसके बाद दावा किया गया कि सबकुछ ठीक हो गया है। हालांकि, यह पूरी तरह सच नहीं है। दरअसल, आने वाले दिनों में पायलट राजस्थान की राजनीति में बड़ा धमाका कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो पायलट इसी महीने नई पार्टी लॉन्च कर सकते हैं।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आईपैक की सेवाएं भी सचिन पायलट ले रहे हैं। मालूम हो कि आईपैक प्रशांत किशोर की संस्था रही है, जिसने पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार आदि में कई दलों को चुनाव जितवाने में मदद की है। 'न्यूजलॉन्ड्री' की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सचिन पायलट ने अपने इरादे स्पष्ट कर लिए हैं। आईपैक के एक वरिष्ठ सूत्र ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि पायलट ने कुछ समय पहले उनकी सेवाएं ली थीं और पायलट दो से तीन सप्ताह में अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी लॉन्च करेंगे।
नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर सूत्र ने बताया, ''पायलट के इरादे स्पष्ट हैं। उन्होंने फैसला कर लिया है कि वह अपने नए प्रयास को आगे बढ़ाएंगे और सफल होने तक नहीं रुकेंगे। वह सावधानी से चलने की योजना बना रहे हैं। सचिन खुद को ऐसी स्थिति में नहीं रखना चाहते, जहां कोई उन पर उंगली उठा सके। प्रक्रिया अचानक नहीं है।''
आईपैक से संबंधित दो अन्य लोगों ने भी यह पुष्टि की है कि संस्था सचिन पायलट को उनकी नई पार्टी बनाने में मदद कर रही है। इन दो लोगों में एक पूर्व कर्मचारी है तो एक वर्तमान। एक शख्स ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, ''आईपैक से 100 लोग वर्तमान में सचिन के साथ काम कर रहे हैं … हमें लगभग 1,100 और नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। हमने इस नई पार्टी के लिए नाम सुझाए हैं।'' यह भी दावा किया गया है कि जून में ही सचिन पायलट अपनी नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। सूत्र ने कहा कि अगर हम दृढ़ता से आश्वस्त नहीं होते कि वह एक नई पार्टी शुरू करेंगे, तो इतने लोगों को काम पर नहीं रखा जाता।
इससे पहले कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि पार्टी सर्वोच्च है और जीत के लक्ष्य के साथ एकजुट होकर राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ेगी। यह पुष्टि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा अशोक गहलोत सरकार से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांगों से पीछे हटने से इनकार करने के बाद आई। बुधवार को अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में एक संबोधन के दौरान, पायलट ने अपने द्वारा उठाए गए मुद्दों, विशेष रूप से पिछले भाजपा शासन के दौरान भ्रष्टाचार के संबंध में कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने पेपर लीक के कारण सरकारी नौकरी की परीक्षा रद्द होने का हवाला देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि जब युवाओं के लिए न्याय मांगने की बात आती है तो कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस महासचिव, जयराम रमेश ने पायलट की टिप्पणी और राजस्थान इकाई के भीतर बढ़ते तनाव का जवाब देते हुए कहा, "29 मई को कांग्रेस अध्यक्ष, मुख्यमंत्री गहलोत, सचिन पायलट, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के प्रभारी महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। जयराम रमेश ने एकता, एकजुटता और एक साथ चुनाव लड़ने के दृढ़ संकल्प के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि हम राजस्थान में एक मजबूत जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करेंगे।" उन्होंने आगे कर्नाटक के अनुभवों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे चुनाव अभियान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजस्थान के लोग प्रधानमंत्री को उसी तरह से जवाब देंगे जैसे कर्नाटक के लोगों ने दिया था।