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शोधकतार्ओं के अनुसार शहरों में प्रदूषण की निगरानी करने में मदद कर सकती है मधुमक्खियॉ

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टोरंटो। मधुमक्खी शहरों में प्रदूषण की निगरानी करने में मदद कर सकती है इसके साथ ही यह पर्यावरण प्रदूषकों का भी पता लगा सकती है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में कनाडा के वैंकूवर सहित छह शहरों में मधुमक्खियों के शहद का अध्ययन किया गया। शोधकतार्ओं ने इसमें लेड, जिंक, कॉपर और अन्य तत्व पाए। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी के शहद से पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक तत्वों को पता लगाया जा सकता है। उनका कहना है कि जो शहर जितना साफ था वहां की मधुमक्खियों का शहद भी उतना ही साफ था। कनाडा की यूनिवर्सिटी आॅफ ब्रिटिश कोलंबिया से पीएचडी कर रहे केट इ स्मिथने बताया कि वैंकूवर शहर का शहद अन्य की तुलना में ज्यादा साफ है। बताया कि जैसे ही वैंकूवर से नीचे की तरफ जाते हैं तो शहद में तत्वों की मात्रा बढ़ती चली जाती है। इसके माध्यम से यह बताया जा सकता है कि शहद में लेड मानव स्रोतों से आया है। उन्होंने पाया कि बहुत ट्रैफिक वाली जगहों, ज्यादा घनत्व वाले शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों जैसे- शिपिंग पोर्ट आदि जगहों पर शहद में तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। डेल्टा सिटी जैसे शहरों में मधुमक्खियों के शहद में मैग्नीज का स्तर उच्च पाया गया। जो संभवत: क्षेत्र में कृषि गतिविधि और कीटनाशक के प्रयोग के इस्तेमाल के कारण हो सकता है। शोधकतार्ओं ने शहद में पाए गए लेड की तुलना अन्य प्राकृतिक स्थानों जैसे ब्रिटिश कोलंबिया के आसपास, गैराबाल्डी वोल्कैनिक बेल्ट की चट्टान, फ्रेजर नदी की तलछट, स्टेनली पार्क के पेड़ों से मिले शहद से की और पाया कि शहर के शहद में पाया गया लेड प्राकृतिक तरीके से बनाए गए लेड से मेल नहीं खाता है।