Home मध्यप्रदेश मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बाढ़ से बचाव संबंधी उच्च स्तरीय समिति...

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बाढ़ से बचाव संबंधी उच्च स्तरीय समिति की हुई बैठक

6

विभागों को सौंपे दायित्व
संबंधित विभाग तत्परता और सर्तकता के साथ तैयारियाँ रखें

भोपाल

मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने कहा है कि वर्षाकाल में अतिवृष्टि एवं बाढ़ से निपटने के लिए सभी विभाग तत्परता और सतर्कता के साथ अपनी तैयारियाँ रखे। राज्य आपदा प्रबंधन कार्य-योजना को अद्यतन कर सभी बाढ़ उन्मुख जिलों की सूची तैयार करने एवं बाढ़ नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबरों का प्रचार-प्रसार किया जाये। निर्धारित समय एवं स्थल पर मीडिया को बाढ़ की स्थिति एवं इससे बचाव हेतु किये जा रहे कार्यों की जानकारी भी दी जाये।

मुख्य सचिव ने जिला कलेक्टर्स को बाढ़ प्रभावितों को पुनर्वासित करने की दृष्टि से वैकल्पिक आश्रय स्थल की व्यवस्था में स्कूल, धर्मशाला आदि को चिन्हांकित करने एवं उसकी सूची राहत आयुक्त कार्यालय एवं स्टेट कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर, मंत्रालय स्थित सिचुएशन रूम को भेजने के निर्देश दिये।

सचिव राजस्व ने राज्य की भौगोलिक संरचना, जलवायु एवं पूर्व में घटित आपदाओं बाढ़ उन्मुख जिले, बाढ़ संभावित राजमार्गों, प्रमुख नदी नालों की जानकारी दी। आगामी मानसून काल 2023 के वर्षा संबंधी पूर्वानुमानों से समिति को अवगत कराया गया।

प्रमुख सचिव राजस्व ने बताया कि विगत वर्षो में आकाशीय बिजली से जनहानि के मामलों में वृद्धि हुई है। मुख्य सचिव ने आकाशीय बिजली से जनहानि के मामलों में राहत राशि प्रकरणों की स्वीकृति हेतु संशोधित परिपत्र शीघ्र जारी करने के निर्देश दिये। उच्चस्तरीय समिति की बैठक में मुख्य सचिव ने बाढ़ राहत के संबंध में विभागों के उत्तरदायित्व का निर्धारण किया।

राजस्व विभाग द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों का आकलन, बाढ़ उन्मुख नदियों, बड़े बांधों की सूची, बाढ़ के मुख्य कारण, प्रचार-प्रसार की प्रणाली, आपातकालीन कार्यवाहियाँ, उपलब्ध उपकरणों की मरम्मत कराना, नवीन उपकरणों के क्रय की जानकारी, जनशक्ति तथा खोज एवं बचाव दलों का प्रशिक्षण, जन-जागृति अभियान, नोडल अधिकारियों का नामांकन, आपदा नियंत्रण केन्द्र स्थापित करना, बाढ़ बचाव सामग्री का पूर्व अनुबंध एवं त्वरित क्षति आकलन का उत्तर दायित्व निर्वहन किया जायेगा।

आपदा प्रबंधन के लिए गृह विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। बचाव एवं राहत कार्य की स्थिति में गृह विभाग को सेना से समन्वय स्थापित करने, पुलिस एवं होमगार्ड के पास उपलब्ध मोटरबोट्स एवं बाढ़ बचाव सामग्रियों को तैयार हालत में रखने, पुलिस एवं होमगार्ड के जवानों को बाढ़ बचाव से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण देने, आपदा की स्थिति में नियोजित मानव संसाधनों की सूची तथा प्रशिक्षित तैराकों की सूची जिलेवार उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा गया।

मौसम विभाग को वर्षा की दैनिक जानकारी तथा मानसून अवधि में मौसम पूर्वानुमान से गृह, राजस्व, जल संसाधन तथा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को नियमित रूप से अवगत कराने का दायित्व सौंपा गया है। केन्द्रीय जल आयोग को पूर्वानुमान तथा चेतावनी की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये। बाढ़ की स्थिति में बचाव एवं राहत कार्यों के लिये सेना की आवश्यक तैयारी की जानकारी ली गई। सेना प्रतिनिधि द्वारा अवगत कराया गया कि संपूर्ण तैयारी की जा चुकी है। रेडक्रॉस के माध्यम से आवश्यक दवाई एवं राहत सामग्री के वितरण की पूर्व तैयारी करने के निर्देश सचिव रेडक्रॉस समिति को दिये गये। रेलवे प्रतिनिधि द्वारा अवगत कराया कि रेलवे ट्रैक की सुरक्षा हेतु सतत पेट्रोलिंग की जाती है, एवं प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को निचले स्थानों की पहचान, अतिवर्षा के कारण नदी-नाले उफान पर होने की स्थिति में इसकी सूचना कन्ट्रोल रूम को देने और निचले स्थानों पर रहने वाली जनसंख्या को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने का उत्तरदायित्व दिया गया।

लोक निर्माण विभाग द्वारा पुलों पर यातायात नियंत्रण हेतु बेरियर लगाना, वर्षा पूर्व क्षतिग्रस्त पुलियों की मरम्मत/सुधार करवाना, सड़कों के गड्डों की मरम्मत करवाना, शासकीय संरचनाओं का सुरक्षा की दृष्टि से निरीक्षण करना, निर्माण स्थलों को सुरक्षित करना एवं खतरनाक स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगाना का कार्य किया जायेगा।

राज्य में स्थित समस्त बांध/तालाबों के तटबंधों के सुरक्षा की दृष्टि से निरीक्षण एवं वर्षा पूर्व आवश्यक मरम्मत, नदियों के जलस्तर की निगरानी, बांधो के जलस्तर की निगरानी, पानी छोड़ने की जानकारी संकलित करने एवं संबंधित विभागों के साथ सूचना का आदान-प्रदान, बाढ़ के दौरान तटबंधों की सुरक्षा हेतु आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था जलसंसाधन विभाग द्वारा की जायेगी।

अपर मुख्य सचिव जल संसाधन द्वारा बताया गया कि अंतर्राज्यीय नदियों पर स्थित बांधों एवं बड़े तालाबों से पानी छोड़ने के संबंध में संबंधित विभागों यथा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, केन्द्रीय जल आयोग की स्थानीय इकाई से बाढ़ की चेतावनी एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान के संबंध में सर्व संबंधितों को निर्देश जारी किये गये। साथ ही बड़े बांधों में पानी छोड़ने का समन्वय और कन्ट्रोल रूम की स्थापना की गई है। डूब क्षेत्र में हुई अनाधिकृत बसाहट शिफ्ट किया जायेगा, जिससे बाढ़ की स्थिति में कोई जनहानि न हो सके। जलाशयों द्वारा गेट खोले जाने पर बाढ़ के पानी का बस्ती क्षेत्रों में पहुँचने से संबंधित सूचना के प्रचार-प्रसार की व्यवस्था, बरगी तथा तवा बांध से पानी छोड़ने के संबंध में दोनो एजेंसी में पूर्ण समन्वय की व्यवस्था की गई है। बाढ़ के दौरान बचाव हेतु नाव एवं अन्य संसाधनों की पर्याप्त व्यवस्था होने की जानकारी भी दी गई।

परिवहन विभाग को ओवर लोडिंग पर नियंत्रण, पुरानी बसों को नियंत्रित करने और बाढ़ के दौरान आबादी निष्क्रमण हेतु वाहनों का चिन्हांकन एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने का दायित्व दिया गया।

अपर मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि बाढ़ उन्मुख क्षेत्रों में वर्षाकाल के दौरान समस्त आवश्यक कार्यवाही एवं आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयों का पर्याप्त भंडारण किया गया है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा पेयजल स्त्रोतों का गुणवत्ता परीक्षण, बाढ के संभावित क्षेत्रों में पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करना, दूषित पेयजल स्त्रोतों का सर्वेक्षण कर शुद्धिकरण किया जाना तथा लगातार मॉनिटरिंग एवं सघन निगरानी की व्यवस्था की जायेगी। शुद्ध पानी हेतु क्लोरीन टैबलेट के वितरण एवं उसके उपयोग हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था के निर्देश दिये गये।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा वर्षा प्रारंभ होने के पूर्व पहुँचविहीन क्षेत्रों में खाद्यान्न का भण्डारण सुनिश्चित करना एवं वेयरहाउस में भंडारित खाद्यान्न की सुरक्षा सुनिश्चित की जायेगी।

महिला एवं बाल विकास विभाग को बाढ के पूर्व आँगनबाड़ियों में आवश्यक दवाइयाँ, पोषण आहार का भंडारण सुनिश्चित करना, पूर्व से ही काउन्सलर / समाज सेवी संस्थाओं को सूचीबद्ध करना। बाढ़ के दौरान महिलाओं एवं बालकों के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य आवश्यकताओं के संरक्षण की व्यवस्था का दायित्व दिया गया।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा नाले एवं नालियों की सफाई की व्यवस्था, जल निकासी के स्थल, नालों के उपर से अतिक्रमण हटाना, निचली बस्तियाँ खाली करवाने तथा अस्थाई कैम्प हेतु स्थलों का चिन्हांकन किया जायेगा। साथ ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, बाढ बचाव हेतु सामग्री का चिन्हांकन एवं जिन जिलों के निचली बस्ती में सामान्यतः जल भराव की स्थिति निर्मित होती है, ऐसे क्षेत्रों के लोगों को ऊंचे क्षेत्रों में शिफ्ट कराने का दायित्व दिया गया है।

ऊर्जा विभाग द्वारा बाढ के दौरान लोगों के करंट लगने से बचाव हेतु योजना तथा बस्ती में बाढ के पानी आने पर पॉवर कट करने हेतु पूर्व व्यवस्था, विद्युत सप्लाई एवं संचार प्रणाली सुनिश्चित करने की वैकल्पिक व्यवस्था तथा राहत स्थल, मेडिकल कैम्प, आपातकालीन संचालन केन्द्र में वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी।

प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग द्वारा बताया गया कि प्री मानसून मेन्टनेंस का कार्य प्रचलित हैं, जो मानसून आगमन से पूर्व पूर्ण कर लिया जावेगा। कृषि विभाग द्वारा पहुँचविहीन क्षेत्रों में कृषि हेतु आवश्यक बीज, कीटनाशक, उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करना, कृषकों को अतिवर्षा, कीट, के संबंध में समय समय पर जानकारी एवं चेतावनी देने हेतु समुचित व्यवस्था की जायेगी।

पशुपालन विभाग द्वारा बाढ़ उन्मुख क्षेत्रों में चिकित्सा दलों का गठन, दवाइयों की उपलब्धता, चारे घास का भण्डारण, बाढ के दौरान मृत पशुओं से फैलने वाली बीमारियों की रोक-थाम की व्यवस्था तथा मृत पशुओं के सुरक्षित शव निपटान हेतु समन्वय कार्य किया जायेगा। जनसंपर्क विभाग को बाढ़ के दौरान प्रेस ब्रीफिंग की नियमित व्यवस्था कराना। निर्धारित समय एवं स्थल पर मीडिया को बाढ़ की स्थिति एवं इससे बचाव हेतु किये जा रहे कार्यों की जानकारी देने का कार्य सौंपा गया हैं। दूरदर्शन तथा आकाशवाणी द्वारा भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग एवं राज्य बाढ नियंत्रण कक्ष के साथ समन्वय कर भारी वर्षा तथा बाढ़ की स्थिति निर्मित होने की पूर्व चेतावनी एवं स्थानीय लोगों को सही जानकारी के प्रसारण का उत्तरदायित्व सौंपा गया हैं।