जबलपुर
जबलपुर स्थित तोपगाड़ी निर्माणी यानी गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में ‘धनुष’ तोप (155 एमएम/45 कैलिबर गन) का उन्नत संस्करण (अपग्रेड वर्जन) तैयार हो चुका है। जीसीएफ के कर्मचारियों ने निर्माणी के ‘धनुष’ सेक्शन में इस तोप को अत्याधुनिक खूबियों से लैस किया है।
उम्मीद है कि 98 प्रतिशत स्वदेशी कलपुर्जों का उपयोग करके बनाई गई धनुष तोप को फायरिंग टेस्ट (परीक्षण) के लिए जुलाई-अगस्त माह में ओडिशा प्रांत की बालासोर फायरिंग रेंज में भेजा जाएगा। हालांकि इस तोप का जबलपुर स्थित लांग प्रूफ रेंज (एलपीआर) खमरिया में परीक्षण किए जाने को लेकर भी चर्चा का दौर जारी है।
बता दें कि जीसीएफ में स्वदेशी तकनीक से बनाई गई धनुष तोप की सबसे बड़ी खासियत है कि इस पर ठंडे-गर्म मौसम का कोई असर नहीं होता। वजन में बेहद हल्की यह तोप अत्याधुनिक इंजन से युक्त है, जो रेतीले मैदान, दलदली या ऊबड़-खाबड़ जमीन पर भी तेजी से दौड़ने में सक्षम है।
धनुष तोप की कंप्यूटरीकृत संचालन प्रणाली होने से यह दनादन फायर करने और जमीन से जमीन, जमीन से आकाश में 40 किलोमीटर तक का अचूक लक्ष्य भेदने में सक्षम है। माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी फायर करने में तोप सक्षम है। यही मुख्य वजह है कि मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी तकनीक से बनाई गई धनुष तोप भारतीय सैन्य जवानों की पहली पसंद बन चुकी है।
हालांकि जीसीएफ में उत्पादित यह तोप सैन्य बेड़े में शामिल होने के बाद भी डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और निर्माणी के कर्मचारी अब तक इसे लगातार अपग्रेड करने पर काम कर रहे हैं। इसलिए भारत में तैयार कलपुर्जों (इंजन, बैरल, कंप्यूटर और अन्य) का उपयोग करके धनुष तोप का 98 प्रतिशत हिस्सा बनाया गया है। कुछ समय बाद धनुष तोप के सौ प्रतिशत कलपुर्जें भारत में बनाए जाने की उम्मीद है।
श्रमिक नेता बताते हैं कि जीसीएफ को अगले छह वर्ष तक बड़ी तादाद में धनुष तोप बनाने का उत्पादन लक्ष्य मिला है। निर्माणी में अभी धनुष तोप के 112 नग तैयार करने और सैन्य परीक्षण के बाद उक्त माल सेना को सौंपने पर लगातार काम किया जा रहा है। इस निर्माणी में अत्याधुनिक धनुष तोप, जिनकी संख्या छह है तैयार हो चुके हैं। यह सभी धनुष तोप किसी स्थान का तापमान माइनस 40 डिग्री होने पर भी बेजोड़ प्रदर्शन करने की क्षमता से लैस हैं।