नई दिल्ली
विपक्षी एकता की कवायद के बीच तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस फिर उलझते नजर आ रहे हैं। सागरदिघी विधायक बैरन विश्वास के दल बदल को लेकर दोनों दल मंगलवार को भिड़ गए। एक ओर टीएमसी ने भरोसा तोड़ने के आरोप लगाए। वहीं, कांग्रेस ने इसे धोखा करार दिया है। कांग्रेस ने कहा कि टीएमसी ने विश्वास को लुभा कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। करीब तीन महीने पहले ही विश्वास ने 22 हजार से ज्यादा मतों से सागरदिघी उपचुनाव में जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर वाम दल के साथ मिलकर टीएमसी को हराया था। दरअसल, पश्चिम बंगाल की यह मुस्लिम बहुल सीट टीएमसी का गढ़ कही जाती थी, लेकिन इस जीत ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंताएं बढ़ा दी थीं। उन्होंने नतीजे घोषित होने के बाद कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था।
दोनों दलों के आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा था, 'तीन महीने पहले ही ऐतिहासिक जीत में कांग्रेस विधायक चुने जाने के बाद पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने लुभा कर उन्हें अपनी पार्टी में कर लिया…। यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के जनादेश के साथ धोखा है…। गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में कराए गए इस तरह के दल बदल विपक्षी एकता को मजबूत नहीं करेगी, बल्कि भाजपा के उद्देश्य पूरे करेगी।' इसपर टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'कांग्रेस ने विपक्षी एकता पर भरोसा तोड़ा था और उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें गुलदस्ता मिलेगा। और क्या भाजपा को मजबूत करने के बारे में बात कर रहे हैं?' खास बात है कि राजधानी कोलकाता में सीएम बनर्जी ने कहा था, 'हम राष्ट्रीय स्तर पर एक हैं। प्रदेश स्तर पर पार्टियों को यह समझना चाहिए कि क्षेत्रिय दलों की अपनी जिम्मेदारियां होती हैं।'
पहली बार नहीं बदला दल
40 साल के विश्वास पहली बार दल बदल नहीं कर रहे थे। उन्होंने सियासी पारी की शुरुआत कांग्रेस के साथ ही की थी, लेकिन बाद में उन्होंने टीएमसी का दामन थाम लिया था। 2021 विधानसभा चुनाव में टीएमसी से टिकट नहीं मिलने के चलते वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अब सागरदिघी उपचुनाव जीतने के बाद फिर उन्होंने टीएमसी को चुन लिया।
कांग्रेस को एक और झटका
खास बात है कि इस दल बदल का असर कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पर भी पड़ सकता है। दरअसल, बैरन के चुनाव में खुद चौधरी जुटे हुए थे। इसके अलावा सागरदिघी सीट मुर्शिदाबाद क्षेत्र में आती है, जिसे चौधरी का गढ़ माना जाता है। कहा जाता है कि मौजूदा सियासी तस्वीर में यह एकमात्र क्षेत्र की राज्य में कांग्रेस की उम्मीद है। साथ ही यह दल बदल ऐसे समय पर आया है, जब पार्टियां 2024 लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकता की बात कर रही हैं। बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को अहम बैठक होने वाली है। खुद सीएम बनर्जी ने ही बिहार के समकक्ष नीतीश कुमार को पटना में बैठक का सुझाव दिया था।