देश पर होली का रंग चढ़ने लगा है। हर कोई रंगों के इस त्योहार को ज्यादा रंगीन बनाने की कोशिश में लगा है। इस बीच यह जानना जरूरी है कि होली दहन का शुभ मुहूर्त कब है। पंडितों के मुताबिक, इस बार होली पर सुबह 10:46 से रात्रि 8:46 तक करीब 10 घंटे भद्रा रहेगी। भद्रा में पूजन आदि शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 8:58 से 12:34 मिनट तक रहेगा। यदि भद्र में पूजन काल के समय उत्तरा फाल्गुनी उत्तराषाढ़ा तथा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में से कोई भी एक नक्षत्र हो तो भद्रा का दोष नहीं लगता है। इस बार होली पर गोधूलि बेला में पूजन के समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की साक्षी रहेगी। इसलिए महिलाएं सांध्यकाल में भी होलिका पूजन कर सकती हैं। ज्योतिषाचार्य पं. किशोरपुरी महाराज के अनुसार, फाल्गुन मास में प्रमुख त्योहार पर आने वाली भद्रा का वास मृत्यु लोक में रहता है। चंद्र राशि के अनुसार भी भद्रा को देखें तो सिंह राशि के चंद्रमा में भी भद्रा का वास पृथ्वी पर बताया गया है। भूलोक पर रहने वाली भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। हालांकि मुहूर्त चिंतामणि के कारण शुभ कार्य करने में भद्रा का दोष नहीं लगता है। इस बार होली पर शाम 4:22 बजे से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र आरंभ हो रहा हैए जो कि अगले दिन दोपहर 2 बजे तक रहेगा। इसलिए संध्याकाल में होलिका पूजन किया जा सकता है। वहीं पूर्णत: निर्दोष मुहूर्त की मान्यता रखने वाले श्रद्धालु रात्रि 9 बजे के बाद पूजा करें। इस मुहूर्त में होलिका पूजन धन धान्य देने वाला रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. किशोरपुरी महाराज के अनुसार होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि में किया जाएगा। 20 मार्च की रात्रि 8 बजकर 58 मिनट से रात्रि 12 बजकर 34 मिनट तक होलिका दहन करना शुभ है। वहीं पूर्णिमा 20 मार्च की सुबह 10 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 21 मार्च को सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगी।