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FAO की रिपोर्ट में खुलासा – पाक में एक तिहाई आबादी दाने-दाने को होगी मोहताज

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कराची

पड़ोसी देश पाकिस्तान में आने वाले दिनों में हालात और खराब होने वाले हैं। लोगों के सामने खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है। अभी भी लोग वहां गेहूं के आटे का संकट झेल रहे हैं। इसके अलावा उच्च महंगाई के कारण लोगों की पहुंच जरूरी सामानों से दूर होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा प्रकाशित ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पाकिस्तान में आर्थिक और राजनीतिक संकट और बिगड़ा तो लोगों के सामने दाने-दाने का संकट खड़ा हो जाएगा, जो 2022 में आई बाढ़ जैसी त्रासदी से भी भयानक हो सकती है।

पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में राजनैतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से आर्थिक पैकेज डील में नाकामी ने पाकिस्तान में खाद्य संकट को और बढ़ा दिया है क्योंकि इन वजहों से खाद्य आयात नहीं हो सका है।

खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) द्वारा सोमवार को संयुक्त रूप से प्रकाशित "Hunger Hotspots: FAO-WFP early warnings on acute food insecurity" शीर्षक वाली रिपोर्ट जून से नवंबर 2023 की अवधि को कवर करती है। अखबार के मुताबिक, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच, बढ़ते सार्वजनिक ऋण ने पाकिस्तान में चल रहे वित्तीय संकट को और बढ़ा दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को अप्रैल 2023 से जून 2026 के बीच 77.5 अरब डॉलर की कर्ज अदायगी बाहरी देशों को करनी है, जो 2021 में देश की 350 अरब डॉलर वाली जीडीपी के अनुपात में बहुत बड़ी राशि है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और सुस्त सुधार की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज की नई किश्त नहीं मिल सकी। इससे द्विपक्षीय भागीदारी में कमी आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2023 में होने वाले आम चुनावों से पहले पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम में बढ़ती असुरक्षा के बीच राजनीतिक संकट और गहराने के आसार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और पाकिस्तानी करंसी के गिरते मूल्य की वजह से देश की आवश्यक खाद्य वस्तुओं और ऊर्जा आपूर्ति को आयात करने की क्षमता कम हुई है और देश भर में ऊर्जा कटौती के अलावा खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पिछले साल की भयंकर बाढ़ के बाद उपजी परिस्थितियों से भी हालात जटिल हो गए हैं। पिछले साल कृषि क्षेत्र को 30 अरब रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर से दिसंबर 2022 के बीच करीब एक तिहाई आबादी यानी 85 लाख से अधिक लोगों को भयंकर खाद्य संकट का सामना करना पड़ा था, जो इस साल ज्यादा हो सकती है।