मुंबई
मुंबई के एक सेशन कोर्ट ने पति-पत्नी के अलग होने के बाद गुजारा भत्ता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। ट्रायल कोर्ट ने इस बारे में आदेश दिया था कि हमला अपने पूर्व पति से ज्यादा कमाती है इसलिए उसे गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा। सेशन कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि महिला कि इनकम अपने पूर्व पति से चार लाख रुपये ज्यादा है।
ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद महिला ने सेशन कोर्ट में याचिका दी थी। अदालत ने कहा कि यह बात सही है कि कमाऊ महिला को भी गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए लेकिन इस मामले में परिस्थितियों पर गौर करना बहुत जरूरी है। अगर महिला अपने पूर्व पति से ज्यादा कमा रही है तो उसे गुजारे भत्ते की जरूरत नहीं है। वहीं अगर पति ज्यादा भी कमा रहा हो तो भी परिस्थितियों को देखना जरूरी है।
जस्टिस सीवी पाटिल ने कहा, इस मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जो फैसला किया है वह सही है। महिला ने साल 2021 में अपने ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस फाइल किया था। उसका कहना था कि बच्चे के जन्म के बाद उसे जबरदस्ती मायके भेज दिया गया। इसके बाद एक कोर्ट ने पति से 10 हजार रुपये का गुजारा भत्ता हर महीने देने को कहा था जिससे कि बच्चे का पालन-पोषण हो सके। महिला ने कोर्ट में यह भी कहा था कि उसके पति का इलाज चल रहा था। उसके ही परिवार को लगता था कि वह बाप नहीं बन सकता।
महिला ने आरोप लगाया था कि जब वह गर्भवती हुई तो ससुराल वालों ने उसपर शक करना शुरू कर दिया। चरित्र को लेकर आरोप लगाए जाने लगे। जज ने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत जल्द से जल्द अंतरिम आदेश देना जरूरी था। उन्होंने कहा, इस मामले में बहुत ज्यादा डीटेल में जाने की जरूरत नहीं है। बच्चे के लिए भत्ता देने की बात सही है लेकिन महिला के लिए नहीं। बता दें कि महिला बच्चे के लिए अलग और खुद के लिए अलग गुजारा भत्ता जाहती थी लेकिन कोर्ट ने अलग से गुजारा भत्ता देने की याचिका खारिज कर दी। वहीं पति का कहना है कि वह बच्चे का पिता नहीं है।