भोपाल
प्रदेश में शराब की बोतलों में बारकोड होलोग्राम (एक्साइज एडहेजिव लेवल) में सामने आई गड़बड़ी पर आबकारी विभाग ने जिम्मेदार माने जा रहे अफसरों को क्लीनचिट दे दी है। आबकारी आयुक्त ने कहा है कि इस मामले में कोई राजस्व हानि होना नहीं पाया गया है पर आगे आने वाले समय में ऐसा नहीं हो, इसको लेकर एक स्टैंडर्ड आपरेशन प्रोसीजर जारी किया जाएगा।
इस मामले में डिस्टलरी संचालकों की भूमिका उचित नहीं मानते हुए दर्जन भर संचालकों को नोटिस जरूर जारी किए गए हैं। उधर इस पूरे मामले में अफसरों की लापरवाही को अनदेखा करने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। शराब फैक्ट्रियों से पैक होने वाली शराब में एक्साइज एडहेजिव लेवल लगाने में की गई गड़बड़ी में यह माना जा रहा था कि करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान होगा लेकिन आबकारी आयुक्त को भेजी गई रिपोर्ट में उपायुक्तों और सहायक आबकारी आयुक्तों व उड़नदस्ता प्रभारियों की टीम ने कोई नुकसान नहीं होना कहा है जबकि इस तरह के मामले सामने आने के बाद भोपाल और इंदौर में कस्टमर्स के साथ विवाद की स्थिति भी बन चुकी है।
यहां होलोग्राम स्कैन करने पर मिली गड़बड़ी के बाद कस्टमर्स और दुकानों के कर्मचारियों के बीच बहस व विवाद की स्थिति भी बनी है क्योंकि जो होलोग्राम लगा था, उसे स्कैन करने पर शराब की मात्रा में कमी और ब्रांड में भी बदलाव की स्थिति बन रही थी। इसी के चलते एसआईटी गठित कर पूरे मामले की जांच की मांग की जा रही थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इन सवालों का नहीं मिला जवाब
ईएएल चिपकाने के मामले में हुई गड़बड़ी की जांच नहीं होने से यह सवाल उठ रहे हैं कि विभाग ने इस पर एसआईटी का गठन क्यों नहीं किया? विभाग द्वारा इसकी डिटेल जांच क्यों नहीं कराई गई? राजस्व हानि नहीं हुई तो मानीटरिंग के लिए अफसरों को जिम्मेदार क्यों नहीं माना गया और कस्टमर्स के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में किसी पर भी एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई गई?
जिलों और संभागों से मांगी गई रिपोर्ट आ गई है। इस गलती पर किसी तरह का राजस्व नुकसान नहीं होना पाया गया है। इसलिए किसी पर जिम्मेदारी तय नहीं की है। भविष्य में ऐसी गलती नहीं हो, इसके लिए जल्द ही एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेशन प्रोसिजर) जारी की जाएगी। इस मामले में ईएएल चिपकाने के लिए जिम्मेदार पाए गए 12 से 15 डिस्टलरी संचालकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
ओपी श्रीवास्तव, आयुक्त, आबकारी