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राजनीतिक दल अस्तित्व में नहीं है तो जमीन और उस पर बनी बिल्डिंग सरकारी घोषित होगी

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भोपाल

राजनीतिक दल बनाकर रियायती जमीन हथियाने का हथकंडा अब मध्यप्रदेश में नहीं चलेगा। सरकार ने जमीन आवंटन के नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत यदि कोई राजनीतिक दल अस्तित्व में नहीं है तो उसे मिली रियायती जमीन और उस पर बनी बिल्डिंग सरकारी घोषित कर दी जाएगी।

मध्यप्रदेश सरकार ने राजनीतिक दलों को आवंटित होने वाली रियायती जमीन के लिए नियम सख्त कर दिए हैं। नए नियमों के तहत राजनीतिक दल बनाकर जमीन का खेल नहीं हो सकेगा। राजनीतिक दल को दियायती दर पर पट्टे पर दी गई जमीन पर अब तीन वर्ष में निर्माण करना होगा और दल के अस्तित्व में नहीं रहने पर आवंटित भूखंड और उस पर बना भवन राज्य शासन का हो जाएगा इसके लिए राज्य शासन दल द्वारा जमा की गई कोई राशि वापस नहीं लौटाएगा और उस जमीन पर बने भवन के लिए भी कोई प्रतिफल नहीं दिया जाएगा।

राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश नजूल भूमि निर्वतन निर्देशों में संशोधन कर दिया है। ये निर्देश वर्ष 2020 में जारी किए गए थे। अब इसमें तीसरी बाद बदलाव कर इसे जारी किया गया है।  राजनीतिक दलों के लिए रियायती दर पर पट्टे के लिए सामान्य शर्तो के साथ अब नई शर्ते भी जोड़ दी गई है। इसमें अब राजनैतिक दल को मिलने वाला पट्टा अहस्तांतरणीय होगा और विभाजन नहीं किया जाएगा।

राजनैतिक दल को आवंटित भूमि पर एक वर्ष के भीतर निर्माण प्रारंभ कर तीन वर्ष में निर्माण पूरा करना होगा ताकि भूमि का समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।  यदि किसी कारणवश राजनैतिक दल अस्तित्व में नहीं रहता है तो उसे आवंटित भूखंड और उस पर निर्मित भवन राज्य शासन के हो जाएंगे।

इस भूखंड के लिए शासन को दिया गया भूभाटक और प्रब्याजि के मद में जमा की गई राशि वापस नहीं लौटाई जाएगी और न ही इस भूखंड पर निर्मित भवन के लिए कोई प्रतिफल दिया जाएगा।  केवल ऐसे राजनीतिक दल को कार्यालय भवन निर्माण के लिए नजूल भूखंड आवंटन की पात्रता होगी जो भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा राष्टÑीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो।

नेता नहीं राजनीतिक दल के नाम से एक प्रदेश स्तर और एक जिला स्तर पर मिलेगा रियायती प्लॉट
राजनीतिक दल को अपने प्रादेशिक कार्यालय के लिए प्रदेश में केवल एक भूखंड आवंटन की तथा जिले में जिला कार्यालय के लिए केवल एक भूखंड आवंटन की पात्रता होगी। यदि किसी राजनैतिक दल को प्रादेशिक कार्यालय या जिला कार्यालय के लिए पूर्व से शासकीय भूखंड आवंटित है

तो ऐसे दल को यथास्थिति प्रादेशिक कार्यालय या उसी जिले मे जिला कार्यालय के लिए पुन: शासकीय भूखंड के आवंटन की पात्रता नहीं होगी। भूखंड का आवंटन किसी व्यक्ति या पदाधिकारी के नाम से नहीं बल्कि राजनीतिक दल के नाम से कि या जाएगा।

ऐसे करना होगा राशि का भुगतान
राजनीतिक दल लैंड बैंक में से भूमि का चयन कर कलेक्टर को भूखंड के लिए प्रकिया शुल्क दस हजार रुपए के साथ आवेदन करेगा। राजनीतिक दल को एक हजार वर्गमीटर के भूखंड के स्थाई पट्टे पर बाजार मूल्य का पचास प्रतिशत और इससे अधिक के भूखंड पर सौ प्रतिशत प्रब्याजि देना होगा। इन पट्टों पर दो गुना वार्षिक भूभाटक भी देना होगा।