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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ब्रिटिश संसद की ओर से न्यौता आया, मई के अंतिम सप्ताह में वे ब्रिटेन जाएंगे

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रायपुर। पहली बार कोई छत्तीसगढ़िया मुखिया ब्रिटिश संसद में प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर किए जाने वाले विकास के मॉडल को समझाएंगे। पहली बार ब्रिटिश संसद के जरिए दुनिया देखेगी की आखिर कैसे गांवों को गांव के ही संसाधनों से विकसित किया जा सकता है। कैसे अधिग्रहित जमीनें सरकार चाहे तो आदिवासी-किसानों को लौटा सकती है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसी नीतिगत निर्णयों पर ब्रिटिश संसद को संबोधित करेंगे। इसके लिए ब्रिटिश संसद ने भूपेश बघेल को न्यौता दिया है। बातचीत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ब्रिटिश संसद की ओर से उन्हें न्यौता दिया गया। मई के अंतिम सप्ताह में वे ब्रिटेन जाएंगे। यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात की है। क्योंकि दुनिया अभी भी जरूरी है कि प्राकृतिक संसाधनों को बचाना है। जल-जंगल-जमीन का संरक्षण और संवर्धन बेहद जरूरी है। सत्ता में आने के बाद हमने इस दिशा में पहल की हैण् आदिवासियों को उनसे अधिग्रहित की जमीनें लौटाई गई है। ऐसा दुनिया में कहीं पहली बार हुआ है। छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बाहुल्य राज्य इस राज्य की तरक्की यहां प्राकृतिक संसाधनों को उचीत उपयोग और आदिवासियों के विकास के साथ ही संभव है। गावों की तरक्की भी गांव के समूचित संसाधनों के सद उपयोग से किया जा सकता है। यही वजह है कि हमने नरवा-गरवा-घुरवा-बारी का कॉन्सेप्ट दिया है। दुनिया की सबसे पहली जरूरत पानी है। हमारा पूरा जोर जल सरंक्षण पर है। इस राज्य को कुदरती तौर पर सबकुछ मिला हुआ। यहां पर्याप्त जल-जंगल-जमीन है। इसे ही बचाकर हम राज्य दुनिया विकसित राज्य बनाएंगे।