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तीन दिन पहले मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे नवीन पटनायक, फिर क्यों बना ली नीति आयोग की मीटिंग से दूरी

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नई दिल्ली

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने और पुरी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी। हालांकि, वह शनिवार को पीएम की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की महत्वपूर्ण गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं हुए। उनका यह कदम चौंकाने वाला था।

नवीन पटनायक नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली जाने के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन उन्होंने अंतिम समय में अपना कार्यक्रम बदल दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, नवीन पटनायक मुख्यमंत्री के रूप में 5वें कार्यकाल की चौथी वर्षगांठ की तैयारी की देखरेख के लिए ओडिशा में ही रुक गए। सीएमओ सूत्रों का कहना है कि, "सरकार की समीक्षा को लेकर पहले से ही कई कार्यक्रम तय थे। वह 2019 के चुनाव के दौरान बीजेडी के द्वारा किए गए वादों की पूर्ति की समीक्षा कर रहे हैं।" आपको बता दें कि नवीन पटनायक ने 29 मई 2019 को 5वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

नवीन पटनायक के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भागवत मान, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और केरल के सीएम पिनाराई विजयन बैठक में शामिल नहीं हुए।

नवीन पटनायक और पीएम मोदी के बीच पिछले हफ्ते वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने के कार्यक्रम के दौरान दोस्ती देखने को मिली थी। पीएम मोदी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री को अपना मित्र बताया था। वहीं, नवीन पटनायक ने बुलेट ट्रेन को लेकर पीएम मोदी की दृष्टि के लिए प्रशंसा की थी। पुरी में हवाई अड्डे के उद्घाटन के लिए मोदी को आमंत्रित करते हुए नवीन पटनायक ने कहा कि उनकी सरकार इसे हवाई अड्डा को वर्ल्ड क्लास बनाने के लिए पीएम द्वारा दिए गए सभी सुझावों को शामिल करेगी।

उन्होंने हाल ही में अगले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी मोर्चे में शामिल होने की किसी भी योजना से इनकार भी किया था। इसके अलावा नई संसद भवन पर विपक्ष के बहिष्कार के बीच नवीन पटनायक ने सरकार का समर्थन किया था। इससे पहले उनकी पार्टी ने नागरिकता संशोधन जैसे विधेयकों का समर्थन किया था।

बीजेडी के नेताओं ने नीति आयोग की बैठक में नवीन पटनायक के शामिल नहीं होने पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जमीन से जुड़े एक राजनेता के रूप में नवीन पटनायक टीवी, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में भाजपा और मोदी के साथ अपनी बढ़ती निकटता को लेकर हाल ही में की गई अपनी आलोचना से अप्रभावित नहीं हैं। ऐसे में संदेश भेजने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है कि पीएम की अध्यक्षता वाली बैठक को छोड़ दें।

एकराजनीतिक विश्लेषण में कहा गया है कि पूर्व वित्त मंत्री और बीजद के वरिष्ठ विधायक शशि भूषण बेहरा का 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के केंद्र सरकार के आदेश की आलोचना करना इस बात का संकेत है कि बीजद बराबरी की राजनीति करने में माहिर है। बेहरा ने कहा था कि मोदी सरकार इस तरह के फैसले लेकर वित्तीय अस्थिरता पैदा कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक सत्य प्रकाश दास ने कहा कि बेहरा मुख्यमंत्री की हरी झंडी के बिना 2000 रुपये के नोटों पर फैसले की कभी आलोचना नहीं कर सकते थे।