नई दिल्ली
दिल्ली में नए संसद भवन पर आयोजित महिला सम्मान महापंचायत के लिए शामली से भाकियू कार्यकर्ता और खाप चौधरियों ने दिल्ली के लिए कूच कर दिया है और सैकड़ों की तादात में भाकियू कार्यकर्ता व खाप चौधरी शामली से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें शामली में पुलिस प्रशासन द्वारा रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन खाप चौधरियों ने पुलिसकर्मियों को पीछे हटाते हुए दिल्ली के लिए कूच कर दिया है। बता दें कि, पिछले करीब 36 दिन से पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। जिनकी मांग है कि बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की जाए। जिसको लेकर पहलवानों का लगातार धरना जारी है और कल पहलवानों ने यह घोषणा की थी कि कल महिला सम्मान महापंचायत बुलाई जाएगी जो कि नए संसद भवन पर होगी। जिसको लेकर भाकियू ने भी ऐलान किया था कि, वह कल दिल्ली कूच करेंगे और महिला सम्मान महापंचायत में हिस्सा लेंगे। जिसके बाद प्रशासन द्वारा भाकियू कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई थी और उस तैनाती के बाद भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा था कि पुलिसकर्मियों को भाकियू कार्यकर्ताओं के घर से हटा लिया जाए नहीं तो वह ट्रैक्टर से दिल्ली कूच करेंगे।
वहीं, खाप चौधरियों की भी इस महिला सम्मान महापंचायत में शामिल होने की बात कही गई थी। जिसके बाद खाप चौधरी महिला सम्मान महापंचायत में शामिल होने के लिए शामली गठवाला खाप के थाम्बेदार बाबा श्याम सिंह, बत्तीसा खाप के चौधरी बाबा शोकिंद्र व कालखंडे खाप के चौधरी बाबा संजय कालखंडे भी महिला सम्मान महापंचायत के लिए शामली से दिल्ली कूच करने के लिए निकले। जैसे ही वह सिंभालका फ्लाईओवर के पास पहुंचे तो पुलिस द्वारा उनको वहां पर रोक लिया गया, लेकिन खाप चौधरियों ने पुलिसकर्मियों को पीछे हटाते हुए दिल्ली के लिए कूच कर दिया।
थाम्बेदार बाबा श्याम सिंह का बयान
गठवाला खाप के थाम्बेदार बाबा श्याम सिंह ने बताया कि, दिल्ली के जंतर मंतर पर करीब 35 से 36 दिन से लड़कियां धरने पर बैठी है। लेकिन सरकार ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। जो लड़की देश के लिए मेडल लाती हो और वह धरने पर बैठती हो उनके साथ में शोषण होता हो तो यह बात अच्छी नहीं लग रही, हम तो यह उम्मीद रखते थे कि, प्रधानमंत्री को उनके बैठते ही उनकी सुध लेनी चाहिए थी उनकी सुननी चाहिए थी और उनकी बात को सुनकर उनका निस्तारण करना चाहिए था, लेकिन आज तक कोई भी हल नहीं हुआ।