लंदन
भारत में एक तरफ जहां नई संसद का उद्घाटन होना है तो वहीं हजारों मील दूरी ब्रिटेन में सांसद पुरानी संसद की मरम्मत के लिए गुहार लगा रहे हैं। भारत की पुरानी संसद की बिल्डिंग आज भी पूरी तरह से ठीक है। हैरानी की बात है कि जिन अंग्रेजों ने भारत में संसद की बिल्डिंग का निर्माण कराया, अब वही अपनी बिल्डिंग को ठीक कराने की अपील कर रहे हैं। दुनिया में जितनी तेजी से ब्रिटिश राजशाही कमजोर हो रही है, उतनी ही तेजी से अब यहां की पार्लियामेंट बिल्डिंग भी अपनी क्षमता खो रही है। पिछले दिनों आई पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) की रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है।
थेम्स नदी के किनारे बनी संसद
ब्रिटेन की संसद वेस्टमिंस्टर पैलेस में हैं और थेम्स नदी के किनारे बने पैलेस में हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स हैं अनौपचारिक तौर पर इसे संसद की बिल्डिंग कहते हैं। सेंट्रल लंदन में स्थित इस बिल्डिंग को सबसे पहले 11वीं सदी में तैयार किया गया था। इसके बाद सन् 1834 में आग लगने की घटना की वजह से इसे गिरा दिया गया। इसके बाद फिर 1840 से 1876 में इसे फिर से बनाया गया था। किसी जमाने में शाही परिवार इस बिल्डिंग का प्रयोग कई कार्यक्रमों के आयोजन के लिए करता था।
13वीं सदी से संसद का प्रयोग
किसी जमाने में यह इंग्लैंड के राजा का महल भी हुआ करता था। 13वीं सदी से बिल्डिंग का प्रयोग संसद के तौर पर होना शुरू हुआ था। सन् 1860 में चार्ल्स बैरी और उनके सहायकों ऑगस्ट्स वेलबाई और नॉर्थमोर प्यूगिन ने इसका निर्माण पूरा किया। यूके की संसद की छत पहले लकड़ी की बनी हुई है। सन् 1940 से 1941 के बीच जर्मनी ने जब यूके पर बमबारी की तो इस बिल्डिंग को 14 बार निशाना बनाया गया था। सन् 1943 में यह बमबारी में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। यूके की संसद को आखिरी बार सन् 1940 के दशक में रेनोवेट किया गया था।
कभी भी आ सकती है बड़ी तबाही
पीएसी की रिपोर्ट में कहा है कि लगातार हो रही देरी और रेनोवेशन पर होने वाली बहस की वजह से यह बिल्डिंग किसी भी पल एक बड़े हादसे का शिकार हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई दशकों तक रेनोवेशन पर आम सहमति नहीं बन पा रही है। इसे मरम्मत की सख्त जरूरत है। पांच साल से मरम्मत का काम अटका हुआ है।
संसद की तरफ से हर हफ्ते दो मिलियन पाउंड की रकम खर्च की जा रही है ताकि इसे ठीक रखा जा सके। लेकिन स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी आशंकाएं तेजी से बढ़ रही हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि अगर जल्द ही काम शुरू नहीं तो यह बिल्डिंग किसी बड़ी तबाही में ढह सकती है। हो सकता है कि काम शुरू होने से पहले ही यह ढह जाए।
2020 में कहीं और शिफ्ट करने की मांग
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश संसद की छत से पानी टपक रहा है, उसकी दीवारें दरक रही हैं और इमारत के ढहने का खतरा लगातार बना हुआ है। पीएसी का कहना है कि 19 वीं सदी में बनी इस बिल्डिंग के रेनोवेशन के नवीकरण का काम काफी धीमी गति से हो रहा है। साल 2018 में, कई साल की दुविधा के बाद सांसदों ने इसके मरम्मत की अनुमति दी थी। इस बात पर भी मतदान हुआ कि साल 2020 के मध्य तक इसे कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा। इस फैसले पर तब से उन सांसदों की तरफ से सवाल उठाया गया है जो इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं।