( अमिताभ पाण्डेय)
भोपाल । साहित्य सृजन के माध्यम से धर्म – समाज की सेवा को समर्पित गिरीश चौबे गोवर्धन द्वारा हाल ही में लिखी गई पांच पुस्तकों का लोकार्पण 25 मई को समारोह पूर्वक किया जाएगा ।
इस अवसर पर ओम अक्षर ब्रह्म योग साधना केंद्र का शुभारंभ भी होगा ।यह केंद्र उज्जैन में माधव नगर थाने के पीछे दशहरा मैदान के समीप ए स्कीम के प्लॉट नंबर 37 पर शुभारंभ के लिए तैयार हो गया है ।
यह जानकारी पुस्तक लोकार्पण एवं ओम अक्षर ब्रह्म योग साधना केंद्र शुभारंभ के लिए गठित आयोजन समिति की प्रमुख श्रीमती आशा चौबे ने दी ।उन्होंने बताया कि ईश्वरीय प्रेरणा से गिरीश चौबे गोवर्धन ने अब तक 20 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं । इन सभी पुस्तकों में सनातन धर्म की परंपरा को मानने वाले धर्मप्रेमियों के लिए उपयोगी जानकारी को सरल भाषा में बताया गया है। इन पुस्तकों के माध्यम से रुचिकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।
श्रीमती चौबे ने बताया कि 25 मई को शाम 5:00 बजे उज्जैन में कोठी रोड स्थित कालिदास संस्कृत अकादमी के अभिरंग नाट्यगृह में जिन पांच पुस्तकों का लोकार्पण होगा उनमें 1आत्मदर्शन 2 वेद वाणी का परिचय तथा अर्थबोध 3 वेद वाणी का प्रथम उपदेश अग्निमिले 4 उज्जैनी का अंकपात और श्रीकृष्ण की शिक्षा 5 गोपीकाओं का चीरहरण : एक योग परक व्याख्या नामक पुस्तकें शामिल हैं।
लोकार्पण समारोह में विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. बालकृष्ण शर्मा, महर्षि पाणिनि पाणिनि संस्कृत एवम वैदिक विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो . विजयकुमार सी जी , उज्जयिनी विद्वत परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व संभाग आयुक्त डॉ मोहन गुप्त , संस्कृत अध्ययन शाला के पूर्व आचार्य डा.केदारनाथ शुक्ल , जय भारती महाविद्यालय के प्राचार्य डा. देवेंद्र जोशी अपने विचार प्रकट करेंगे । इस अवसर पर सहित अनेक विद्वान एवं साहित्य अनुरागी भी उपस्थित रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन के वाणिज्य कर विभाग से सेवानिवृत हुए गिरीश चौबे गोवर्धन ने अपनी गहन धार्मिक अभिरुचि , आत्म साक्षात्कार और अनुभव के आधार पर अब तक अनेक पुस्तकें लिखी हैं । इन पुस्तकों में आत्मानुभूति , परम तत्व का क्रीड़ा विलास , दीक्षा ज्ञान , ज्ञान भूमि के सप्त सोपान , अग्नि विद्या , हमारे खेल , हमारे खेल एवं जीवन दर्शन , उठो – जागो – यश प्राप्त करो , आध्यात्म साधना : परंपरा एवं अनुभूति , कालचक्र के नियति क्रम में , युग परिवर्तन की घोषणा , युग परिवर्तन , वेद वाणी का रहस्य , स्नान रहस्य , पुरुष तत्व और पति पत्नी का प्रकट रूप , आम्र फल का दिव्य संदेश , योग क्या है ? , श्रुति संदेश , परा विद्या , कृत युग का आगमन , धर्म पथ , श्रुति कथन : बदलती हुई अवधारणा आदि पुस्तकें प्रमुख हैं ।
श्री चौबे अभी जिन पुस्तकों के लेखन पर काम कर रहे हैं उनमें गीता ज्ञान की पूर्व पीठिका , मूल उपदेश : गीता ज्ञान , स्थितप्रज्ञ दर्शन : गीता ज्ञान , श्रेयस प्राप्ति का मार्ग : गीता ज्ञान , योग का पुरातन स्वरुप : गीता ज्ञान , तेतरीय उपनिषद आनंद टीका , कठोपनिषद तत्व विवेचन , नित्य उपासना का गायत्री मंत्र आदि पुस्तकें शामिल हैं।
इन पुस्तकों का प्रकाशन और लोकार्पण भी शीघ्र किया जाएगा ।
यहां यह बताना जरुरी होगा कि अपनी धार्मिक अभिरुचि के कारण पुस्तकों के लेखन हेतु गिरीश चौबे गोवर्धन को विभिन्न प्रकार के सम्मान और पुरस्कारों से भी अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। देश – प्रदेश की प्रतिष्ठित समाजसेवी – साहित्यिक ,- धार्मिक संस्थानों से सम्मानित होकर गिरीश चौबे ने निरंतर धार्मिक साहित्य सृजन की साधना में लगे हैं।