भोपाल
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह के निर्देश गठित जांच दल ने मैदानी स्तर पर हो रहे भवन, सड़क निर्माण कार्यो का निरीक्षण किया तो भवन निर्माण में प्लिंथ से लेकर छत तक के निर्माण घटिया पाए गए, उनमें कमियों मिली। इसके बाद काम करने वाले ठेकेदारों को नोटिस थमाए जा रहे है और मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदार इंजीनियरों से भी जवाब-तलब किया गया है।
महाकाल की नगरी उज्जैन जिले के कार्यो के निरीक्षण के लिए भोपाल से गए अधीक्षण यंत्री लोनिवि योगेन्द्र कुमार ने हामूखेड़ी मार्ग में डेढ़ किलोमीटर चौड़ी और 3.375 मीटर लंबे 39 लाख के लेन नवीनीकरण कार्य के निरीक्षण में पाया कि चैनेज 1480 ऊपर की सतह ही रफ मटेरियल भौतिक रूप से दिख रहा था।
हाई सोल्डर का निर्माण कार्य के लिए करीब 7-8 डंपर दो से तीन फीट साइज के बोल्डर युक्त सामग्री कार्यस्थल पर रखी थी। ठेकेदार के प्रतिनिधि ने कहा कि यह उसने नहीं रखा है जबकि ग्रामीणों ने बताया कि रोड की पटरी के निर्माण हेतु यह सामग्री ठेकेदार ने ही लाई। यहां चेनेज का सैम्पल लिया गया और प्रयोगशाला भेजा गया। ठेकेदार और मैदानी अधिकारियों को हार्ड सोल्डर का काम निर्धारित मानक सामग्री और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सात दिन में पूरा करने को कहा गया है। अब गुणवत्ता का सत्यापन अधीक्षण यंत्री और कार्यपालन यंत्री करेंंगे।
ठेकेदार कंपनी को नहीं तकनीकी ज्ञान
कार्यपालन यंत्री जतिन सिंह चुण्डावत, सहायक यंत्री केबी सिंह, उपयंत्री विनोद त्रिपठी और उनकी टीम ने 386 लाख 87 हजार की लागत से बन रहे काम में 239 लाख के अनुबंध से ठेकेदार अमन कंस्ट्रक्शन द्वारा बनाए जा रहे शासकीय माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में छह अतिरिक्त कक्षों का निरीक्षण करने पर पाया गया कि कार्य के सुपरविजन और क्वालिटी कंट्रोल हेतु नियत कंसलटेंसी के टीम लीडर, फील्ड इंजीनियर, मटेरियल इंजीनियर को किसी भी प्रकार के कार्य का तकनीकी ज्ञान नहीं है। कार्य बिना किसी कार्ययोजना के बेतरतीब तरीके से संपादित कराया जा रहा था।
काम के कालम ग्रिड दो में चार डी तक में छज्जे की कास्टिंग अमानक तरीके से की गई थी जिसमें लाईन और लेवल में औसतन चालीस एमएम से साठ एमएम का अंतर पाया गया। इसी प्रकार बिम ग्रीडएन दो से एन सात तक की प्लिंथ बीम में एक लाईन में नहीं है। भौतिक परीक्षण में औसतन चालीस से 45 एमएम का अंतर पाया गया। स्टेयर केश के निर्माण के स्थान पर फिलिंग के उपर बगैर काम्पेशन के पुअर बेस कांक्रीट की गई है जो अत्यंत निम्न स्तर का है।
उज्जैन तराना कानीपुरा मार्ग जो 699 लाख रुपए की लागत से कराया जा रहा है। वहां निरीक्षण में बीसी में ओवरसाईज का मटेरियल उपयोग किया गया। भौतिक सत्यापन में प्लांट पर परीक्षण में भी 2.36 एमएम से डाउन ग्रेडेड की पासिंग परसेंटेज कम पाई गई। डस्ट पार्टिकल में डाउन ग्रेवल न होकर पाउडर फार्म में पाया गया। उज्जैन इंदौर मार्ग से उज्जैन देवास मार्ग के बीच ढाई किलोमीटर लंबी सड़क मरम्मत काम में हाई सोल्डर को ड्रेसिंग कराने की जरुरत महसूस की गई।