आयुर्वेद हजारों साल पुरानी चिकित्सीय पद्धति है जिसमें बीमारियों का आयुर्वेदिक औषधियों और उपायों द्वारा अलग-अलग तरीके से उपचार किया जाता है। इसमें एक ऐसा ही उपचार नस्य भी है। आयुर्वेद में इस उपाय को कंधों के ऊपर होने वाले विकारों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
आयुर्वेद में कहा गया है 'नासा ही शिरसो द्वारं' यानी नाक मस्तिष्क का प्रवेश द्वार है। यह सिर, मुंह, बाल, दांत, कान, नाक, आंख और समग्र स्वास्थ्य से संबंधित सभी विकारों में मदद करता है।
इस आयुर्वेद उपाय में नाक में घी डालने की प्रक्रिया शामिल है। माना जाता है कि दिन में दो बार नाक में घी डालने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिल सकती है।
नाक में घी डालने के फायदे
यह आयुर्वेदि उपाय अच्छी नींद लाने, सिरदर्द (तनाव, माइग्रेन के कारण) से राहत देने, त्वचा में चमक लाने, इम्यूनिटी और मेमोरी में सुधार करने, एलर्जी कम करने, मेंटल हेल्थ में सुधार करने, बालों के झड़ने और बालों को सफेद होने से बचाने, तनाव कम करने, खर्राटों को कम करने और मस्तिष्क को पोषण देने में सहायक है।
नस्य उपचार के लाभ
नस्य ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर में भी बहुत मदद करता है। ऑटो इम्यून थायरॉयड, रुमेटीइड गठिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित लोगों को इसे उपाय से काफी फायदा होता है। इससे आपको तनाव कम करने, सिरदर्द कम करने, दिमागी गर्मी कम करने, बालों की समस्या दूर करने, कम या धुंधला दिखने, अनिद्रा आदि से राहत मिल सकती है।
नाक में कब और कितना घी डालना चाहिए
डॉक्टर ने बताया कि आपको सुबह ब्रश करने के बाद या रात को सोते समय दोनों नथुनों में गाय के घी की सिर्फ 2 बूंदें रुई, ड्रॉपर या अपनी छोटी उंगली की मदद से डालनी चाहिए।