नई दिल्ली
विपक्षी एकता की चर्चा के बीच मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल पहुंच रहे हैं। वह सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे। कहा जा रहा है कि इस दौरान गैर कांग्रेसी विपक्षी एकता पर बड़ी चर्चा हो सकती है। खास बात है कि दोनों ही नेता कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे थे। इधर, बिहार सीएम नीतीश कुमार का बड़े नेताओं से मिलना जारी है। रिपोर्ट में बंगाल सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह बैठक गैर कांग्रेस विपक्षी एकता की ओर एक कदम होगा। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने बताया है कि यह बैठक एक नए फॉर्मूला के लिए मददगार हो सकती है, जहां सभी क्षेत्रीय दल कांग्रेस के सामने शर्तें रखने के लिए एकजुट होंगे। इधर, केजरीवाल भी केंद्र सरकार के नए अध्यादेश को लेकर विपक्षी दलों से समर्थन की अपील की थी।
कांग्रेस को लेकर ममता बनर्जी का रुख
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद सीएम बनर्जी ने कांग्रेस का समर्थन करने की बात की थी, लेकिन उन्होंने शर्त भी रख दी थी। उन्होंने कहा था, 'जहां भी कांग्रेस 200 सीटों पर मजबूत है, वहां उन्हें लड़ने दीजिए और हम उनका समर्थन करेंगे…। लेकिन उन्हें भी दूसरे राजनीतिक दलों का समर्थन करना होगा…। अगर आप अच्छी चीजें चाहते हैं, तो आपको कोई कुर्बानी देनी होगी।' रिपोर्ट के अनुसार, टीएमसी के एक नेता ने कहा, 'ममता बनर्जी ने पहले ही कह दिया है कि कांग्रेस को गठबंधन के साथी की भूमिका में होना चाहिए, क्योंकि वे राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि वे हमारे खिलाफ लड़ेंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए…। ममता बनर्जी और केजरीवाल के बीच मंगलवार की बैठक एक नए फॉर्मूला के लिए मददगार हो सकती है, जहां सभी क्षेत्रीय दल कांग्रेस के सामने शर्तें रखने के लिए एकजुट होंगे।'
कहां तक पहुंची विपक्ष एकता की बात
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मुलाकात के बाद आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) चीफ उद्धव ठाकरे से मिलेंगे। खबर है कि इस दौरान वे इन नेताओं से अध्यादेश के खिलाफ समर्थन की मांग करेंगे। हाल ही में सीएम नीतीश ने भी बनर्जी से मुलाकात की थी। इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी टीएमसी चीफ से मिल चुके हैं।